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एमबीबीएस क्षेत्र, नौकरियां और वेतन

August 21, 2018

एमबीबीएस
क्षेत्र, नौकरियां और वेतन

एमबीबीएस मेडिकल क्षेत्र में एक स्नातक डिग्री का कोर्स है। यह डिग्री पूरा होने के लिए 5.5 साल की अवधि लगता है!

यह एकमात्र स्नातक की डिग्री है जिसको पूरा करने के बाद छात्र अपने नाम के आगे "Doctor" शब्द प्रयोग कर सकते हैं!

अवधि और सामाजिक प्रतिष्ठा के अनुसार दुनिया का सबसे बड़ा कोर्स माना जाता है ! बायोलॉजी, फिजिक्स एवं केमिस्ट्री से इंटरमीडिएट करने वाले छात्रों की पहली पसंद MBBS होता है !

एमबीबीएस एडमिशन के लिए पात्रता

भारत में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए, छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान के साथ अपनी 10 + 2 शिक्षा पूरी करनी होती है और न्यूनतम 50% अंक (आरक्षित वर्ग के मामले में 40%) स्कोर करना है।

छात्र की आयु 17 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

एमबीबीएस एडमिशन के लिए पात्रता

भारत में एमबीबीएस कोर्स में प्रवेश पाने के लिए, छात्रों को भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जीवविज्ञान के साथ अपनी 10 + 2 शिक्षा पूरी करनी होती है और न्यूनतम 50% अंक (आरक्षित वर्ग के मामले में 40%) स्कोर करना है।

छात्र की आयु 17 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए।

एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा

एमबीबीएस प्रवेश परीक्षा का संचालन अब नीट (NEET) करता है ! जिसमें भारत के लगभग सभी सरकारी एवं प्राइवेट मेडिकल कॉलेज शामिल हैं लेकिन AIIMS, JIPMER एवं AFMC अलग से प्रवेश परीक्षा का संचालन करता है !

पूरे भारत के किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए छात्रों को अब नीट प्रवेश परीक्षा पास करना होता है उसके बाद ही उसे एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन मिलता है ! नीट का एग्जाम, बोर्ड परीक्षा के बाद होता है अप्रैल के आखिरी सप्ताह या मई के पहले हफ्ते में संपन्न होता है !

एमबीबीएस कोर्स की अवधि

एमबीबीएस कोर्स की अवधि 5.5 वर्ष है जिसमें 4.5 वर्ष की शैक्षणिक शिक्षा + 1 वर्ष अनिवार्य इंटर्नशिप होता है !

एमबीबीएस फीस

भारत में एमबीबीएस कोर्स करने के लिए प्राइवेट एवं सरकारी कॉलेज दोनों मौजूद लेकिन इस की फीस में काफी अंतर होता है ! आप प्राइवेट कॉलेजों का फीस भी अब राज्य सरकारें ने तय करती हैं ! अगर सरकारी मेडिकल कॉलेज की बात करें तो सबसे कम फीस एम्स का है जिसका फीस मात्र 1390 रुपए प्रति साल हैं जबकि आर्मी मेडिकल कॉलेज की फीस 56500 रुपए प्रति साल है !

एमबीबीएस फीस भारत के प्राइवेट कॉलेजों में ज्यादा होता है यह देखा गया है कि 9 लाख से लेकर 12 लाख रुपए प्रति वर्ष की फीस होती है ! 5.5 सालों के कोर्स में 4.5 सालों का फीस विद्यार्थी को कॉलेज को देना होता है क्योंकि एक साल का ट्रेनिंग प्रोग्राम होता है जिसमें छात्रों को फीस नहीं देना पड़ता है !

नौकरियां और वेतन

एमबीबीएस कोर्स करने के बाद छात्रों के पास दो ऑप्शन होते हैं, पहला ऑप्शन MS / MD दाखिला ले सकते हैं ! MS / MD करने वाले छात्रों को कॉलेज पेमेंट भी करता है ! दूसरा ऑप्शन यह है कि वह किसी भी हॉस्पिटल में नौकरी कर सकता है ! एमबीबीएस कोर्स करने के बाद, डॉक्टर्स का वेतन कम से कम 50000 प्रतिमाह होती है! दिन-प्रतिदिन, बीमारियों वृद्धि के कारण चिकित्सा पेशेवरों की मांग बढ़ रही है। एमबीबीएस में कैरियर बहुत अच्छा है लेकिन उन छात्रों के लिए ज्यादा बेहतर होगा जो ज्यादा मेहनत करना पसंद करते हैं !

एमबीबीएस कोर्स करने के बाद  - जॉब प्रोफाइल

जूनियर डॉक्टर
जूनियर फिजीशियन
जूनियर सर्जन
मेडिकल प्रोफेसर या लेक्चरर
शोधकर्ता
वैज्ञानिक

रोजगार के क्षेत्र

सरकारी अस्पताल
निजी अस्पताल
प्रयोगशाला
बायोमेडिकल कंपनियों
मेडिकल कॉलेज
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र
फार्मास्यूटिकल और बायोटेक्नोलॉजी के कंपनियों

एमबीबीएस क्षेत्र, नौकरियां और वेतन एमबीबीएस
क्षेत्र, नौकरियां और वेतन Reviewed by Akash Sharma on August 21, 2018 Rating: 5

एम.एस. एक्सेल क्या हैै पूरी जानकारी हिंदी में ?

June 22, 2018
एम.एस. एक्सेल क्या हैै

एम एस एक्सेल, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस का एक भाग है जिसे स्प्रेड शीट (Spread Sheet) पैकेज के नाम से जाना जाता है जिसमें डाटा को रॉ (rows) और कॉलम (columns) में लिखा जाता है और उसके बाद उस पर किसी भी तरह की गणना कर सकते हैं। जैसे कि mathematical statistical और financial इत्यादि। इसमें डाटा का विश्लेषण कर सकते है और उसकी रिपोर्ट बना सकते है। इसमें डाटा का ग्राफ के रूप में प्रदशित कर सकते है।

➤एम एस एक्सेल को स्टार्ट कैसे करे

Start->All Programs->MS Office->MS Excel पर क्लिक करने से एक्सेल की नई फाइल स्टार्ट हो जाती है|

Work Book :- (वर्क बुक) यह एक्सेल का एक डॉक्यूमेंट होता है इसके अन्दर 255 वर्क शीट होती है साधारणता इसमें तीन शीट दिखायी देती है।
Spread sheet (स्प्रेड शीट):- यह एक्सेल डॉक्यूमेंट के पेज होते है इसको वर्क शीट भी कहां जाता है| इसके अन्दर 65,536 रॉ और 256 कॉलम होते है। जहां पर रॉ और कॉलम एक दूसरे को काटते है वहां पर एक आयताकार एरिया बनता है जिसे सेल (cell) कहतें है। सेल (cell) एक्सेल डॉक्यूमेंट का सबसे छोटा एवं महत्वपूर्ण यूनिट है। जिसमें डाटा या सूचना (इनफार्मेशन) सुरक्षित रखी जाती हैै और उस पर किसी भी तरह की गणना कर सकते है हर सेल (cell) का अपना एक विशिष्ट एड्रेस या रेफरेंस नंबर होता है। जो कॉलम तथा रॉ को क्रम में लिखने से प्राप्त होता है।


     
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cell Reference(सेल रेफरेंस ) :- हर सेल (cell) का अपना एक विशिष्ट एड्रेस या रेफरेंस नंबर होता है। जिसके माध्यम से सेल (cell) की डाटा को प्राप्त किया जाता है। यह 4 प्रकार का होता है।
(1) Relative Reference
(2) Absolute Reference
(3) Relative तथा Absolute Reference
(4) Absolute तथा Relative Reference
1. Relative Reference(रिलेटिव रेफरेंस ):-यह रेफरेंस कॉलम तथा रॉ को क्रम में लिखने से प्राप्त होता है। इसमें एक सेल (cell) के रेफरेंस में दूसरी सेल (cell) का रेफरेंस पहली सेल (cell) के अनुसार बदल जाता है। इसका प्रयोग करने से गणनाए करने में आसानी एवं जल्दी हो जाती है। यह सेल (cell) रेफरेंस इस प्रकार लिखा जाता है। जैसे :- a2, b2 तथा c3 इत्यदि
2. Absolute Reference (आब्सोल्यूट रेफरेंस ):-इसमें रेफरेंस को doller निशान ($) के साथ में लिया जाता है। इसमें एक सेल (cell) का रेफरेंस दूसरे सेल (cell) के रेफरेंस में बदलता नहीं है। जैसेः- $a$2 ,$b$2 और $c$2 इत्यादि
3. Relative तथा Absolute Reference(रिलेटिव और अबसोल्युट) :- इसमें कॉलम को रिलेटिव और रॉ को absolute कर दिया जाता है। जिसमें की कॉलम दूसरी सेल (cell) के रेफरेंस में बदल जाता है। परन्तु रॉ नहीं बदलती है। जैसेः- a$2 तथा c$3. etc.
4. Ablolute तथा Relative Reference (अबसोल्युट और रिलेटिव रेफरेंस):- इसमें कॉलम को absolute तथा रॉ को Relative लिखा जाता है। जिसमें की कॉलम fix हो जाता है। और रॉ बदलती है। जैसेः- $A2, $B2, और $C2 इत्यादि।




➤एम एस एक्सेल में सम (जोड़) फार्मूला

एम एस एक्सेल में जोड़ करना बहुत ही आसान और सरल है । एक्सेल का उपयोग करके कठिन से कठिन तथा बड़ी से बड़ी गणना को बहुत ही आसानी तथा सुगमता से चंद सेकंडों में बिना किसी गलती के किया जा सकता है ।



सबसे पहले चित्र 1.1 देखिये यहॉ कॉलम (column) तथा रॉ (raw) को दर्शाया गया है, इन्हीं से मिलकर सेल (cell) बनता है, एम एस एक्सेल में फार्मूला का प्रयोग करने से पहले याद रखिये कि फार्मूला हमेशा सेल (cell) के लिये लगाया जाता है, उस सेल (cell) में लिखी संख्या कोई भी हो सकती है।

अगर आपको एम एस एक्सेल में जोड़ (sum) फार्मूला का प्रयोग करना है तो सेल (cell) में लिखी संख्या पर नहीं सेल (cell) पर ध्यान दीजिये –

उदहारण के लिए – अगर आपको a1 से a4 तक के सेल (cell) को जोडना है तो a5 या किसी अन्य सेल (cell) में टाइप कीजिये

=sum(A1:A4) 
चित्र 1.2 देखिये –



आप अलग-अलग सेल (cell)s को अपनी मर्जी के अनुसार भी चुन सकते हैं – जैसे

=sum(a1+a2+a4) यहॉ हमने सेल (cell) a3 को छोडकर बाकी सेल (cell) का योग किया है।





➤एम.एस. एक्सेल : मेनू

Menu(मेनू)
एम एस एक्सेल में विभिन्न कमांड्स मेनू में ऑप्शनc के रूप में उपलब्ध होती है। कमांड्स की प्रवर्ती एवं व्यवहार के अनुसार इन्हे समूहो में बाॅट दिया जाता है। जैसेः- file menu, edit menu, vew menu. इत्यादि।





➤एम.एस. एक्सेल : Edit Menu (एडिट मेनू)

Paste Special(पेस्ट स्पेशल) :- जब किसी कॉपी या कट किये हुए डाटा को किसी दूसरे स्थान पर एक विशिष्ट ऑपरेशन के साथ पेस्ट करना होता है तो हम पेस्ट स्पेशल ऑप्शन को चुनते है । इसको सलेक्ट करने पर एक डायलॉग बॉक्स खुलता है जहां से पेस्ट ऑप्शन विशिष्ट ऑपरेशन का टाइप चुनते है । पेस्ट स्पेशल का डायलॉग बॉक्स नीचे दिए हुए चित्र जैसा होता है




Fill (फिल) :- इस ऑप्शन का उपयोग डाटा को रॉ या कॉलम में एक विशिष्ट पैटर्न से फिल करने के लिए प्रयोग किया जाता है । इस ऑप्शन के अंदर अनेक सब-ऑप्शन्स होते है, जो इस प्रकार है



1. Down (डाउन) :- इससे डाटा नीचे की तरफ फिल होता है। 
2. Up (अप) :- इससे डाटा ऊपर की तरफ फिल होता है। 
3. Right (राइट) :- इससे डाटा दाहिने तरफ से फिल होता है। 
4. Left (लेफ्ट) :- इससे डाटा बाएं तरफ से फिल होता है।

Series (सीरीज) :- इस ऑप्शन का उपयोग डाटा को रॉ या कॉलम में एक विशिष्ट पैटर्न से फिल करने के लिए प्रयोग किया जाता है । इस ऑप्शन के अंदर अनेक सब-ऑप्शन्स होते है, जो इस प्रकार है



जिस पैटर्न में डेटा फिल करना होता है, वह पैटर्न ऊपर दिए हुए डायलॉग बॉक्स में से चुन लेते है।

Clear (क्लियर) :- इस ऑप्शन से सेलेक्टेड सेल की इनफार्मेशन (डेटा) हटाया जा सकता है । इसके अंदर निम्न सब -ऑप्शन्स होते है



1. All (आल) :- इससे सेल के अन्दर मौजूद सभी जानकारी हट जाती है। 
2. Format (फॉरमेट) :- इससे केवल डेटा का फॉर्मेट हटाया जाता है। 
3. Contents (कन्टेन्टस) :- इससे कंटेंट (डेटा) हटाया जाता है। 
4. Comments (कमेन्टस) :- इससे कमेंट्स (टिप्पणी) को हटाया जाता है। 
Delete (डिलीट) :- इस ऑप्शन से सेल, रॉ या कॉलम को हटाया जाता है। इस पर क्लिक करने पर एक डायलॉग बॉक्स खुलता है, जिसमें से कोई भी ऑप्शन आवश्यकतानुसार सलेक्ट कर सकते है। इसका डायलॉग बॉक्स इस तरह होता है।



Delete Sheet (डिलीट शीट) :- इससे पूरी शीट डिलीट हो जाती है।


Move or Copy Sheet (मूव या कॉपी शीट) :- इससे पूरी शीट मूव या कॉपी हो जाती है।




➤एम.एस. एक्सेल : View Menu (व्यू मेनू)

View Menu (व्यू मेनू)
इस मेनू में फार्मूला बार और कस्टम व्यू के अलावा अन्य सभी ऑप्शन्स एम.एस.वर्ड की तरह ही है तथा उनका उपयोग का तरीका वैसा ही है ।

Formula Bar (फार्मूला बार):– इस ऑप्शन से फार्मूला बार को प्रदर्शित अथवा गायब किया जा सकता है । आप अपनी आवशयकता अनुसार फार्मूला बार को हिडन (गायब) कर सकते है । 
Custom View (कस्टम व्यू):- इस ऑप्शन के द्वारा एक्सेल शीट के अंदर किसी भी भाग का नाम दिया जाता है और फिर हम इस नाम के माध्यम से उस जगह पर कभी भी आसानी से पहुंच सकते है और उसके डेटा का उपयोग कर सकते है ।




➤एम.एस. एक्सेल : Insert Menu (इन्सर्ट मेनू)

इन्सर्ट मेनू के अंदर ऑब्जेक्ट को पेज में इन्सर्ट करने से सम्बंधित अनेक ऑप्शन होते है, सेल पॉइंटर जहाँ पर होता है वहाँ पर नयी सेल, रॉ, कॉलम, टेबल इत्यादि इन्सर्ट कर सकते है।

Chart (चार्ट ):- किसी भी आंकिक (न्यूमेरिकल) डेटा का चित्रात्मक (ग्राफिकल) प्रदर्शन कर सकते है। जैसे की नम्बरों को स्तम्भ, बार, पाई या फिर लाइन चार्ट में प्रदर्शित करके दिखाना।

चार्ट बनाने की विधिः-

(1) डेटा को सेलेक्ट करना
(2) Insert Menu –> Chart पर क्लिक करे


(3) चार्ट विज़ार्ड डायलॉग बॉक्स में से चार्ट का सिलेक्शन करे
(4) Next बटन पर क्लिक करे



(5)चार्ट को एक उचित नाम देवे तथा X-Axis तथा Y-Axis की वैल्यूज सेलेक्ट करे और Next बटन पर क्लिक करे




(6)जहाँ पर भी चार्ट को प्रदर्शित करना है उस स्थान को सेलेक्ट करे
a. As New Sheet 
b. As Object in






➤एम.एस. एक्सेल : Tools Menu (टूल्स मेनू)

Share Workbook (शेयर वर्कबुक) :- इस ऑप्शन के द्वारा एक्सेल वर्कबुक तो इंटरनेट अथवा नेटवर्क के माध्यम से अनेक लोगो के साथ साँझा (शेयर) किया जा सकता है तथा सभी यूजर सूचना प्राप्त कर सकते है 
Merge Workbook (मर्ज वर्कबुक) :- इस ऑप्शन के माध्यम से एक वर्कबुक में परिवर्तन करने पर दूसरी वर्कबुक में भी परिवर्तन हो जाते है, इस ऑप्शन को मर्ज वर्कबुक कहते है| 
Goal Seek (गोल सीक) :- इस गोल सीक एक डेटा विश्लेषण करने का टूल है, जिसके माध्यम से गोल या लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न तकनीकों से विश्लेषण करके उपाय खोजा जाता है 
गोल सीक करने का तरीका :-
1. माउस पॉइंटर को रिजल्ट सेल पर लाकर क्लिक करे 
2. Tools-> Goal Seek पर क्लिक करे 
3. रिजल्ट सेल की वैल्यू को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करे 
4. सम्बंधित इंडिपेंडेंट सेल का रेफरेंस दे

उदाहरण के रूप में:-


ऊपर दिखाई गई टेबल में इंटरेस्ट Rs. 400/- है । हम इसे बढ़ा पर Rs. 500 /- करना चाहते है । इस उदहारण में Rs. 500 /- हमारा लक्ष्य (गोल) है और इसे प्राप्त करने के लिए गणना करने के लिए हम माउस/सेल पॉइंटर को D2 पर रखेंगे और गोल सीक ऑप्शन पर क्लिक करेंगे तो एक डायलॉग बॉक्स खुलेगा । यह डायलॉग बॉक्स कुछ ऐसा दिखाई देगा :-


To Value 500 लिखेंगे तथा बाई रिफरेन्स कॉलम में $B$2 टाइप करने के बाद OK बटन पर क्लिक करेंगे तो रेट लक्ष्य के अनुसार कैलकुलेट होकर अपने आप बदल जायेगा ।

अन्य परिदृश्य:- यह एक विश्लेषण टूल है, जिसका प्रयोग वहां किया जाता है जहाँ पर यह देखना ही की इनपुट डेटा को बदलने पर आउटपुट पर क्या प्रभाव पड़ेगा । उदहारण के लिए नीचे दी हुई टेबल में रेट 8 से 9.5 करने से इंटरेस्ट (ब्याज) पर क्या प्रभाव पड़ेगा

इसके लिये Tools->Scenario Option पर क्लिक करेगे, तो इसका एक डायलॉग बॉक्स इस तरह खुलेगा


इसमे हम परिदृश्य (Scenario) नाम लिखेगे और Changing Cell में B2 लिख कर OK पर क्लिक करेगे


तो यह B2 की वैल्यू पूछेगा उसमें 9.5 टाइप करेगे और OK बटन पर क्लिक करेगे ।


इसके समरी (summary) बटन पर क्लिक करने से परिदृश्य (Scenario) रिर्पोट दिखेगी जिसमे इंटरेस्ट बदला हुआ दिखायी देगा।


Auditing (आडिटिंग):- इसके द्वारा सेल वैल्यू की निर्भरता तथा स्वतंत्रता मार्क की जाती है-








➤एम.एस. एक्सेल : Data Menu (डाटा मेनू)

Sort(सार्ट ):- इसके द्वारा डेटा को किसी विशेष कॉलम के अनुसार आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित करते है

Filter(फिल्टर):– इस ऑप्शन का प्रयोग डाटा को ढूढने के लिये किया जाता है। इसके अन्दर दो सब-ऑप्शन होते है।

(1) Auto Filter
(2) Advance Filter

Auto Filter(ऑटो फिल्टर):- इस ऑप्शन का प्रयोग करने से सभी हैडर कॉलम में कॉम्बो बॉक्स लग जाता है । कॉम्बो बॉक्स में सर्चिंग टूल्स पाए जाते है, जिनसे अपनी आवश्यकतानुसार उपयोग में लिया जा सकता है । इसमें विभिन्न सर्चिंग टूल होते है। जैसे –



Advance Filter(एडवांस फिल्टर):- इस ऑप्शन के द्वारा लिस्ट से कंडीशन के अनुसार खोज कर दूसरे स्थान पर प्रदर्शित करते है। इसमे तीन प्रकार की रेंज का प्रयोग होता है।

(1) List Range
(2) Criteria Range
(3) Output Range

(1) List Range (लिस्ट रेन्ज):- यह वह रेन्ज होती है, जहाँ से रिकार्ड्स को सर्च (खोज) की जाती है।
(2) Criteria Range(कराइटेरिया रेन्ज):- यह वह रेंज होती है जहाँ पर कंडीशनन (शर्त) दी जाती है, इसी कंडीशन अनुसार लिस्ट रेंज से डेटा फ़िल्टर होता है| 
(3) Output Range (आउटपुट रेन्ज):- यह वह रेन्ज होती है। जहाॅ पर आउटपुट प्रदर्शित होता है, जो रेन्ज के अनुसार लिस्ट रेन्ज से फिल्टर होते है। वह सभी रिकार्ड्स इसी रेन्ज मे प्रिन्ट होता है।

प्रैक्टिकल एप्रोच :-
1. डेटा लिस्ट तैयार करे 
2. हैडर रॉ को कॉपी करे 
3. हैडर रॉ को अलग अलग जगह पर दो बार पेस्ट करे 
पहला क्राइटेरिया रेंज के लिए 
दूसरा आउटपुट रेंज के लिए 
4. क्राइटेरिया रेंज में डेटा फ़िल्टर करने के लिए कंडीशन्स सेट करे 
5. सेल पॉइंटर को डेटा रेंज के फर्स्ट सेल पर ले कर आये
6. एडवांस फ़िल्टर ऑप्शन को सेलेक्ट करे, इससे एक डायलॉग बॉक्स खुलेगा, इसमें क्राइटेरिया रेंज, आउटपुट रेंज निर्धारित करे और OK बटन पर क्लिक कर । इसके पश्चात आपके आउटपुट रेंज में फ़िल्टर रिकार्ड्स दिखाई देंगे ।

उदाहरण 



Form (फॉर्म):- फॉर्म ऑप्शन से यूजर इंटरफ़ेस बनाया जाता है, जिसके सहायता से डेटा को सही प्रकार से व्यवस्थित किया जाता है। फॉर्म बनने के दौरान सबसे पहले सेल पॉइंटर को प्रथम सेल में रखा जाता है और उसके बाद इस ऑप्शन को सेलेक्ट करते है। इसे नीचे चित्र के माध्यम से दिखाया गया है –


subtotal (सब-टोटल):- इस ऑप्शन का प्रयोग वहां पर किया जाता है जहाँ पर एक नाम से अनेक रिकार्ड्स होते है और वह वित्तीय मामलों से सम्बंधित हो। जैसे की एक कंपनी में कई सेल्समैन को कई आइटम अलग अलग जगहों पर बेचने है तो वहां पर हर सेल्समेन का कुल (टोटल) और ग्रैंड टोटल निकालने की जरुरत पड़ती है। इसके लिए सबसे पहले हम रिकार्ड्स को आरोही (ascending) क्रम में सोर्ट कर लेते है और उसके बाद लिस्ट को सेलेक्ट कर, इस ऑप्शन पर क्लिक करते है। नीचे के चित्र में इस प्रदर्शित किया गया है –



Validation(वैलिडेशन):- इस ऑप्शन के द्वारा एक्सेल शीट के अंदर कार्य पद्धति के नियम स्थापित किये जाते है, जैसे की हम अपनी कंपनी के कर्मचारियों को 5000 से 10,000 के बीच वेतन देते है तो हम यह सुनिश्चित करना चाहते है की सैलरी कॉलम में 5000 से कम तथा 10,000 से ज्यादा की एंट्री गलती से भी न हो तो इसके लिए सैलरी कॉलम में वेलिडेशन लगा देते है । नीचे के चित्र में इसे प्रदर्शित किया गया है –





Table(टेबल):- इस ऑप्शन का प्रयोग वहाॅ किया जाता है, जहाॅ पर वित्तीय परिणाम जानने हो। जैसे कि अगर बैंक से लोन ले तो कितने महीने में किस रेट से, कितनी किस्त अदा करनी पडेगी। इसके लिये एक टेबल बना कर देख लेते है। जैसे कि नीचे दिया गया है –



Consolidation(कन्सोलिडेशन):- इस ऑप्शन का प्रयोग वहाॅ पर किया जाता है, जहाॅ पर दो या दो से अधिक जगहों की वैल्यूज का कुल या औसत निकालना हो। जैसे कि नीचे दिया गया है –



Pivote Table(पीवोट टेबल):- इस ऑप्शन के माध्यम से डेटा शीट की सारांश रिपोर्ट तैयार की जाती है, जिसमे किसी विशिष्ट वैल्यूज को कॉलम तथा रॉ अनुसार कुल तथा महाकुल प्राप्त कर सकते है । नीचे वाले चित्रों में इसे उदहारण के माध्यम से दिखाया गया है





एम.एस. एक्सेल क्या हैै पूरी जानकारी हिंदी में ? एम.एस. एक्सेल क्या हैै पूरी जानकारी हिंदी में ? Reviewed by Akash Sharma on June 22, 2018 Rating: 5

General Knowledge About Computer Course !

June 01, 2018

कम्प्यूटर डाटा संरचना
कम्प्यूटर एक बहुत ही उपयोगी यन्त्र है । कम्प्यूटर यूजर द्वारा दिए हुए सभी प्रकार के निर्देशों को गणना के लिए संग्रहीत करता है जैसे - संख्या, नंबर, टेक्स्ट, ग्राफ़िक्स, चित्र इत्यादि। यह सभी डाटा तथा निर्देश अलग परन्तु कम्प्यूटर इन सभी डाटा तथा निर्देशों को बाइनरी भाषा में बदल कर संग्रहीत करता है । बाइनरी एक मशीन की भाषा है जिसका आधार सिर्फ दो संख्याएँ है - 0 तथा 1 । यूजर द्वारा दिए गए सभी निर्देश बाइनरी भाषा में 0 तथा 1 में परिवर्तित हो जाते है । इस प्रक्रिया को डाटा निरूपण कहते है । डाटा निरूपण के लिए दो तरीके होते है -
1. एनालॉग क्रियायें
2. डिजिटल क्रियायें
एनालॉग क्रियायें (Analog Operations)-
एनालॉग क्रियाएं लगातार परिवर्तनशील संकेत पर आधारित है । इनमे अंकों का प्रयोग नहीं होता है । एनालॉग क्रियाओं का प्रयोग विज्ञानं तथा इंजीनियरिंग के बहुत से क्षेत्रों में किया जाता है क्योंकि इन क्षेत्रों में भौतिक मात्राओं का उपयोग अधिक किया जाता है जैसे की स्पीडोमीटर, ओडोमीटर, वोल्टमीटर, थर्मामीटर इत्यादि
डिजिटल क्रियायें (Digital Operation)-
आधुनिक कम्प्यूटर डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक सर्किट (digital electronic circuits) द्वारा निर्मित होते हैं। इस सर्किट का मुख्य भाग ट्रांजिस्टर होता है जो दो अवस्थाओं 0 तथा 1 में कार्य करता है। कम्प्यूटर में डाटा को व्यक्त करने वाली इन दो अवस्थाओं को सम्मिलित रूप से बाइनरी संख्या प्रणाली कहते हैं।
बाइनरी डाटा को स्टोर करने के लिए एक प्रणाली बनाई गई है, जिसकी सबसे छोटी इकाई बिट है ।
4 बिट्स = 1 निबल
8 बिट्स = 1 बाइट
1024 बाइट्स = 1 किलोबाइट (KB)
1024 किलोबाइट = 1 मेगाबाइट (MB)
1024 मेगाबाइट = 1 गीगाबाइट (GB)
1024 गीगाबाइट = 1 टेराबाइट (TB)
सूचना-प्रौद्योगिकी
परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर का विकास कई दशकों पहले ही हो चुका है, परन्तु आधुनिक युग में कम्प्यूटर की क्षमता, गति, आकार एवं अन्य कई विशेषताओं में आश्चर्यजनक बदलाव हो रहे हैं। इन सभी सूचनाओं में सूचना प्रौद्योगिकी के आविष्कार ने कई असम्भव बातों को सम्भव बना दिया है। हम घर बैठे दूर स्थित अपने किसी मित्र व संबंधी के साथ चैंटिंग करना, रेलवे-वायुयान टिकट आरक्षित करा सकते हैं। कम्प्यूटर के विकास के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी भी विकास के पथ पर अग्रसर है। सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग डाटा संचार के रूप में, व्यपार, घर, बैंकों इत्यादि स्थानों पर मुख्य रूप से किया जाता है। दूसरे शब्दों में ज्ञान की नई शाखा को सूचना प्रौद्योगिकी कहते हैं।
सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक(Fundamental Ingredient of IT)
संचार प्रक्रिया, कम्प्यूटर नेटवर्क, ई-मेल आदि सूचना-प्रौद्योगिकी के मौलिक घटक हैं। इनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
संचार-प्रक्रिया (Communication Process)
दो विभिन्न या समान डिवाइसों के मध्य डाटा तथा सूचनाओं के आदान प्रदान को डाटा संचार एवं इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को संचार-प्रक्रिया कहते हैं। संचार-प्रक्रिया निम्नलिखित माध्यमों के द्वारा सम्पन्न होती है-
1. संदेश
2. प्राप्तकर्ता
3. प्रेषक
4. माध्यम
5. प्रोटोकॉल
कम्प्यूटर नेटवर्क (Computer Network)
सूचनाओं या अन्य संसाधनों के परस्पर आदान-प्रदान एवं साझेदारी के लिए दो या दो अधिक कम्प्यूटरों का परस्पर जुड़ाव कम्प्यूटर नेटवर्क कहलाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क के अंतर्गत संसाधनों एवं सूचनाएं एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर तक समान रूप से पहुंचती है। कम्प्यूटर नेटवर्क एक कंपनी अथवा भवनों, एक कमरे तथा शहर के मध्य स्थापित किए जाते हैं।
नेटवर्क के प्रकार(Types of Network)
नेटवर्क विभिन्न प्रकार के होते हैं परन्तु मुख्यत: नेटवर्क तीन प्रकार के होते हैं-
1. लोकल एरिया नेटवर्क- लैन (Local Area Network- LAN)
वह नेटवर्क जो केवल एक भवन, कार्यालय अथवा एक कमरे तक सीमित होते हैं, लोकल एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। इस नेटवर्क के अंतर्गत कई कम्प्यूटर आपस में संयोजित रहते हैं। परन्तु इनका भौगोलिक क्षेत्र एक या दो किमी. से अधिक नहीं होता है। रिंग, स्टार या कम्प्लीटली कनेक्टेड नेटवर्क आदि लैन के उदाहरण हैं।
2. मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क- मैन (Metropolitan Area Network- MAN)
एक या एक से अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को एक साथ जोड़कर बनाए गए नेटवर्क को मैट्रोपोलिटन एरिया नेटवर्क कहते हैं। यह नेटवर्क वृहद स्तरीय नेटवर्क है, जो कई कार्पोरेटों से मिलकर बना होता है। मैन की गति अत्यधिक तीव्र होती है, परन्तु लैन की अपेक्षा धीमी होती है।
3. वाइड एरिया नेटवर्क- वैन (Wide Area Network- WAN)
वह नेटवर्क जो मंडलीय, राष्टरीय, अंतरराष्टरीय एवं प्रादेशिक स्तर पर जोड़े जाते हैं, वाइड एरिया नेटवर्क कहलाते हैं। वैन में उपग्रह द्वारा कम्प्यूटर टर्मिनलों को आपस में जोड़ा जाता है। उदाहरण के लिए- मुबंई में रहकर दिल्ली से कोलकाता का आरक्षण करना या कनाडा से सिंगापुर की फ्लाइट का आरक्षण केवल वैन द्वारा ही संभव है। वैन की गति, लैन तथा मैन की अपेक्षा धीमी होती है।
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस
परिचय (Introduction)
माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस परस्पर संबंधित डेस्कटॉप अनुप्रयोगों और सेवाओं का समूह है, जिसे सामूहिक रूप से ऑफिस सूट कहा जाता है। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस सर्वप्रथम सन् 1989 में माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा मैक- OS के लिए शुरू किया गया। उसके पश्चात सन् 1990 में विंडोज के लिए प्रथम संस्करण लाया गया। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3.0 ऑफिस सूट का विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का प्रथम संस्करण था। उसके बाद माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 4.3, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 95, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2000, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस ङ्गक्क तथा माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 3003, माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस 2010 हैं। माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस के अंतर्गत मुख्यत: चार प्रोग्राम आते हैं-
1. माइक्रोसॉफ्ट वर्ड
2. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल
3. माइक्रोसॉफ्ट एक्सेस
4. माइक्रोसॉफ्ट पॉवर प्वाइंट
एमएस ऑफिस के ये प्रोग्राम अलग-अलग प्रकार के कार्यों को करने के लिए प्रयोग में लाए जाते हैं, लेकिन इन सभी की कार्यप्रणाली लगभग एक जैसी है। जिसमें किसी एक प्रोग्राम पर कार्य करना सीखने के बाद अन्य प्रोग्रामों को सीखना सरल हो जाता है। यही नही एमएस ऑफिस के एक प्रोग्राम से दूसरे प्रोग्राम में कोई चित्र, सामग्री या सूचनाएं लाना ले जाना अत्यन्त सरल है इसलिए इनसे हर प्रकार के मिश्रित कार्य का भी कम्प्यूटरीकरण किया जा सकता है।
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड (Microsoft Word)--
माइक्रोसॉफ्ट वर्ड माइक्रोसॉफ्ट कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित वर्ड प्रोसेसर है। इसका मुख्य कार्य दस्तावेज को संचालित करना है। यह एक वर्ड प्रोसेसिंग पैकेज है, जिसकी सहायता से साधारण दैनिक पत्र व्यवहार से लेकर डेस्कटॉप पब्लिशिंग स्तर के कार्य सुविधापूर्वक किए जा सकते हैं। इसमें परम्परागत मेन्युओं के साथ ही टूल बार की सुविधा भी उपलब्ध है। जैसे- कॉपी करना, कट करना, जोडऩा, खोजना एवं बदलना, फॉन्ट, स्पेलिंग एंड ग्रामर की जॉच करना, बुलेट्स तथा नंबरिंग आदि। माइक्रोसॉफ्ट वर्ड 2007 तथा 2010 में दस्तावेजों को विभिन्न भाषाओं में अनुवादित करने की सुविधा भी उपलब्ध है।
कम्प्यूटर वायरस
परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर वायरस अपने आप कम्प्यूटर में आ जाने वाला प्रोग्राम कोड होता है, जो बाहरी स्रोत द्वारा तैयार किया जाता है। दुनिया का पहला कम्प्यूटर वायरस Elk Cloner था, जो 'इन द वाइल्ड' ने प्रकट किया था। यह कम्प्यूटर वायरस एप्पल डॉस 3.3 ऑपरेटिंग सिस्टम में फ्लॉपी डिस्क के जरिए फैलता है। कम्प्यूटर वायरस हमारे कम्प्यूटर में तबाही लाने वाला प्रोग्राम होता है, जो आपकी फाइलों और ऑपरेटिंग सिस्टम में उपस्थित सूचनाओं को बिना आपकी जानकारी अथवा चेतावनी के नुकसान पहुंचाता है। कम्प्यूटर वायरस के फैलने का सबसे आसान जरिया नेटवर्क, इंटरनेट और ई-मेल का बढ़ता हुआ उपयोग है। आमतौर पर कम्प्यूटर वायरस आपके कम्प्यूटर में निम्न प्रकार से आ सकता है-
1. संक्रमित प्रोग्राम के उपयोग से
2. संक्रमित फाइल के उपयोग से
3. संक्रमित फ्लापी डिस्क के साथ डिस्क ड्राइव में कम्प्यूटर बूट करने से
4. पाइरेटेड सॉफ्टवेयर के उपयोग से
कम्प्यूटर वायरस अपने आप जेनरेट नहीं होते, बल्कि ये वायरस लोगों द्वारा पूरी सूझ-बूझ से तैयार किए गए प्रोग्राम होते हैं। कुछ लोग इसे अपने कम्प्यूटर की सुरक्षा के लिए प्रयोग करते हैं तो कुछ लोग इसे विध्वंस मचाने के लिए तैयार करते हैं। कम्प्यूटर वायरस के प्रकार
वायरस कई प्रकार के होते हैं, परन्तु अधिकांश वायरस को मुख्यत: तीन भागों में बांटा गया है-
1. बूट सेक्टर
2. फाइल वायरस
3. मैक्रो वायरस
महत्वपूर्ण प्रोग्रामिंग भाषाएं
परिचय (Introduction)
कम्प्यूटर एक मशीन है और वह हमारी बोलचाल की भाषा को समझ नहीं सकता। इसके लिए प्रोग्राम, विशेष प्रकार की भाषा में लिखे जाते हैं। इन भाषाओं को प्रोग्रामिंग लैंग्वेज के नाम से जानते हैं। आजकल ऐसी सैकड़ों भाषाएं प्रचलन में हैं। ये भाषाएं कम्प्यूटर और प्रोग्रामर के बीच संपर्क या फिर संवाद स्थापित करने का काम करती हैं। कम्प्यूटर उन्हीं के माध्यम से दिए गए निर्देशों को समझकर काम करता है। कम्प्यूटर द्वारा किए जाने वाले अलग अलग कार्यों के लिए अलग-अलग तरह की लैंग्वेज का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें कुछ प्रमुख प्रोग्रामिंग लैंग्वेज इस प्रकार हैं-
लो-लेवल लैंग्वेज (Low Level Languages)
वे लैंग्वेज जो कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली को ध्यान में रखकर बनाई गई हंै लो लेवल लैंग्वेज कहलाती हैं। इसमें प्रोग्राम लिखने वाले व्यक्ति को कम्प्यूटर की आंतरिक क्रिया प्रणाली की जानकारी होना आवश्यक है। इसको निम्न स्तरीय लैंग्वेज इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें प्रोग्राम लिखना पूरी तरह से उस कम्प्यूटर पर निर्भर करता है जिस पर यह लिखा जा रहा है। इस लैंग्वेज को पुन: दो अन्य भाषाओं में बांटा जा सकता है।
1. मशीन लैंग्वेज (Machine Languages)
कम्यूटर एक मशीन है जो केवल विद्युत संकेतों को ही समझ सकती है। इन विद्युत संकेतों को ऑफ या 0(शून्य) व ऑन या 1(एक) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इन अंको के बायनरी अंक कहते हैं। कम्प्यूटर केवल इन बाइनरी अंकों में दिए गए निर्देशों को समझ सकता है। इन बाइनरी अंको से बनी लैंग्वेज को हम मशीन लैंग्वेज कहते हैं। जैसे- 0100100011100110011
2. असेंबली लैंग्वेज (Assembly Languages) -
अंसेबली लैंग्वेज वे भाषाएं होती हैं जो पूरी तरह से मशीन लैंग्वेज पर आधारित होती हैं। लेकिन इनमें 0 व 1 की सीरीज के स्थान पर अंग्रेजी के कुछ अक्षरों व कुछ चुने हुए शब्दों का कोड के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इन कोडों को नेमोनिक कोड या शाब्दिक कोड के नाम से जाना जाता है।
3. हाई लेवल लैंग्वेज (High Level Languages)
जैसा कि लो-लेवल लैंग्वेज के लिए बताया गया कि प्रोग्राम लिखने के लिए कम्प्यूटर की आंतरिक कार्यप्रणाली का ज्ञान होना जरूरी है। दूसरा प्रत्येक कम्प्यूटर की अपनी अलग मशीनी भाषा और असेम्बली भाषा होती है। अत: एक तरह के कम्प्यूटर के लिए इन भाषाओं में लिखा गया प्रोग्राम दूसरी तरह के कम्प्यूटरों के लिए बेकार हो जाता है। अत: ऐसी प्रोग्रामिंग भाषाओं का विकास किया गया जो सिस्टम की आंतरिक कार्यप्रणाली पर आधारित न हो और जिनमें लिखे गए प्रोग्रामोंको किसी भी प्रकार के सिस्टम पर चलाना संभव हो। इन भाषाओं को हाई लेवल भाषा कहा जाता है। हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषा में इंग्लिश के चुने हुए शब्दों व साधारण गणित में प्रयोग किए जाने वाले चिह्नों का प्रयोग किया जाता है। इन भाषाओं में प्रोग्राम लिखना उनमे गलतियों का पता लगाना और उनको सुधारना लो लेवल भाषा की तुलना में आसान होता है। सभी प्रोग्राम हाई लेवल भाषा मे ही लिखे जाते हैं।
हाई लेवल प्रोग्रामिंग भाषाओं को भी उनकी प्रकृति के अनुसार दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है।
1. विधि अभिमुखी भाषाएं (Procedure Oriented Languages)
2. समस्या अभिमुखी भाषाएं (Problem Oriented Languages)
प्रमुख हाई लेवल लैंग्वेज:
1. बेसिक
2. फोरट्रॉन
3. लोगो
4. कोबोल
5. पास्कल
6. सी
7. सी++
8. अल्गोल
9. कोमाल
10. पायलट
11.स्नोबॉल
12. प्रोलॉग
13. फोर्थ जेनरेशन लैग्वेज (4जीएल)
इंटरनेट
परिचय (Introduction)
इंटरनेट से तात्पर्य एक ऐसे नेटवर्क से है जो दुनिया भर के लाखों करोड़ों कम्प्यूटरों से जुड़ा है। कहने का मतलब यह है कि किसी नेटवर्क का कोई सिस्टम किसी अन्य नेटवर्क के सिस्टम से जुड़ कर कम्यूनिकेट कर सकता है। अर्थात सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता है। सूचनाओं के आदान प्रदान के लिए जिस नियम का प्रयोग किया जाता है उसे ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल या इंटरनेट प्रोटोकॉल (टीसीपी/आईपी) कहा जाता है।
इंटरनेट की सेवाएं
इसकी सेवाओं में कुछ का जिक्र यहां किया जा रहा है-
फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफ टी पी)- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है।
इलेक्ट्रॉनिक मेल ई-मेल- इसको संक्षिप्त रूप से ई-मेल कहा जाता है। इस माध्यम के द्वारा बड़ी से बड़ी सूचनाओं व संदेशों को इलेक्ट्रॅनिक प्रणाली द्वारा प्रकश की गति से भेजा या प्राप्त किया जा सकता है। इसके द्वारा पत्र, ग्रीटिंग या सिस्टम प्रोग्राम को दुनिया के किसी भी हिस्से में भेज सकते हं।
गो-फोर- यह एक यूजर फ्रैंडली इंटरफेज है। जिसके जरिए यूजर, इंटरनेट पर प्रोग्राम व सूचनाओं का आदान प्रदान किया जा सकता है। गोफर के द्वारा इंटरनेट की कई सेवाएं आपस में जुड़ी होती है।
वल्र्ड वाइड वेब (www)- इसके द्वारा यूजर अपने या अपनी संस्था आदि से सम्बंधित सूचनाएं दुनिया में कभी भी भेज सकता है, और अन्य यूजर उससे सम्बंधित जानकारियां भी प्राप्त कर सकता है।
टेलनेट- डाटा के हस्तांतरण के लिए टेलनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके द्वारा यूजर को रिमोट कम्प्यूटर से जोड़ा जाता है। इसके बाद यूजर अपने डाटा का हस्तांतरण कर सकता है। टेलनेट पर कार्य करने के लिए यूजर नेम व पास वर्ड की जरूरत होती है।
यूजनेट- अनेक प्रकार की सूचनाओं को एकत्र करने के लिए इंटरनेट के नेटवर्क, यूजनेट का प्रयोग किया जाता है। इसके माध्यम से कोई भी यूजर विभिन्न समूहों से अपने लिए जरूरी सूचनाएं एकत्र कर सकता है।
वेरोनिका- वेरोनिका प्रोटोकॉल गोफर के माध्यम से काम करता है। यूजर, गोफर व वेरोनिका का प्रयोग एक साथ करके किसी भी डाटा बेस पर आसानी से पहुंच सकता है। इनके प्रयोग से जरूरी सूचनाएं तेजी से प्राप्त की जा सकती हैं।
आर्ची- फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (एफटीपी) में स्टोर फाइलों को खोजने के लिए आर्ची का प्रयोग किया जाता है।
इंटरनेट - शब्दावली
प्रोटोकॉल- यह एक ऐसी मानक औपचारिक प्रक्रिया है, जिसके माध्यम से कम्प्यूटर नेटवर्क में अंकीय संचार किया जाता है।
ब्राउजर- यह एक ऐसा सॉफ्टवेयर है, जिसकी मदद से यूजर सूचनाओं को प्राप्त करने के लिए इंटरनेट में प्रवेश करता है।
वेब सर्वर- यह प्रोग्राम वेब ब्राउजर के द्वारा संसाधनों को प्राप्त करने के लिए यूजर द्वारा दिए गए अनुरोध को पूरा करता है।
नेटवर्क- कई सिस्टमों को एक साथ जोड़कर बनाए गए संजाल को नेटवर्क क हते हैं। इसके द्वारा एक साथ कई जगहों पर सूचनाओं का आदान-प्रदान करना संभव है।
आन-लाइन- जब यूजर इंटरनेट पर जान-करियों व सेवाओं का अध्ययन करता है। तब कहा जाता है कि यूजर ऑन लाइन है।
होम पेज- यह किसी भी साइट का शुरूआती प्रदर्शित पेज है। जिसमें सूचनाएं हाईपरलिंक द्वारा जोड़ी जाती है।
ऑफ लाइन- इसमें यूजर इंटरनेट में मौजूद सूचनाओं को अपने अपने सिस्टम में संग्रहित कर इंटरनेट संपर्क काट देता है।
हाइपर टेक्स्ट मार्कअप लैग्वेंज (एचटीएमएल)-इसका प्रयोग वेब पेज बनाने में किया जाता है। शुरूआत में इसका प्रयोग वेब पेज डिजाइन करने में किया जाता था।
हाइपर टेक्स्ट ट्रॉसंफर प्रोटोकॉल- इसका प्रयोग एचटीएमएल में संगृहित दस्तावेजों व दूसरे वेब संसाधनों कों स्थानांतरित करने में किया जाता है।
टीसीपी/आईपी- इसका प्रयोग सूचनाओं के आदान-प्रदान में किया जाता है।
यूनिफॉर्म रिसोर्स लोकेटर(यूआरएल)- इसका प्रयोग वेब पर किसी विशेष सूचना को संचालित करने में किया जाता है।
वेब पेज- होम पेज पर बने हाइपर लिंक पर क्लिक करने पर जो पेज हमारे सामने प्रस्तुत होता है, उसे वेब पेज कहते हैं।
वेबसाइट- वेब पेजों के समूहों को वेबसाइट कहते हैं। जिसमें आडियो, वीडियों, इमेजेस का समावेश होता है।
हाइपर लिंक- वेब पेज में मौजूद वे विशेष शब्द या चित्र जिस पर क्लिक करने पर उस शब्द या चित्र से सम्बंधित एक अलग वेब पेज पर आ जाती है। उसे वेब पेज को हाइपर लिंक कहते है।
डाउनलोड- इंटरनेट या किसी अन्य कंम्प्यूटर से प्राप्त सूचनाओं को अपने कम्प्यूटर में एकत्रित करना डाउनलोड कहलाता है।
अपलोड- अपने कम्प्यूटर से किसी अन्य कम्प्यूटर में सूचनाएं भेजना अपलोड कहलाता है। जैसे ई-मेल भेजना।
सर्वर- वह कम्प्यूटर जो इंटरनेट प्रयोग करने वाले सिस्टम को सूचनाएं प्रदान करने की क्षमताएं रखता है, सर्वर कहलाता है।
सर्फिंग- इंटरनेट के नेटवर्कों में अहम सूनचाओं को खोजने का काम सर्फिंग कहलाता है।
इंटरनेट एड्रेस-इंटरनेट में प्रयुक्त एड्रेस के मूलभूत हिस्से को डोमेन कहा जाता है। इंटरनेट से जुड़े हर कम्प्यूटर का एक अलग डोमेन होता है। जिसे डोमेन नेम सिस्टम कहते हैं। जिसे 3 भागों में बांटा जा सकता है।
1.जेनेरिक डोमेन
2.कंट्री डोमेन
3.इनवर्स डोमेन
( A )
Abacus: Abacus गणना करने के लिए प्रयोग में लाया जाने वाला अति प्राचीन यंत्र जिससे अंकों को जोड़ा व घटाया दोनों जाता है।
Accessory: यह प्रोसेसिंग के लिए एक आवश्यक संसाधन होते हैं जिन्हें सहायक यन्त्र भी कहा जाता है। जैसे- वेब कैमरा, फ्लापी डिस्क, स्कैनर, पेन ड्राइव आदि
Access Control: सूचना और संसाधनों की की सुरक्षा के लिए प्रयुक्त की गई विधि जिसके द्वारा अनाधिकृत यूजर को सूचना और निर्देशों को पहुंचने से रोकता है।
Access Time: यूजर द्वारा मेमोरी से डाटा प्राप्त करने के लिए दिए गए निर्देश और डाटा प्राप्त होने तक के बीच के समय को Access time कहते हैं।
Accumulator:एक प्रकार का रजिस्टर जो प्रोसेसिंग के दौरान डाटा और निर्देशों को संग्रहीत करता है।
Active Device: वह उपकरण है जिसमें कोई कार्य वैद्युत् प्रवाह द्वारा सम्पादित किया जाता है।
Active Cell: MS Excel में प्रयोग होने वाला वह खाना है, जिसमें यूजर डाटा लिखता है।
Active Window: कम्प्यूटर में उपस्थित वह विंडो, जो यूजर द्वारा वर्तमान समय में सक्रिय है।
Adapter: दो या दो से अधिक उपकरणों या संसाधनों के बीच सामंजस्य बनाने के लिए प्रयुक्त की जाने वाली युक्ति।
Adder: एक प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक सर्किट, जिसके द्वारा दो या दो से अधिक संख्याओं को जोड़ा जा सकता है।
Address: वह पहचान चिन्ह जिसके द्वारा डाटा की स्थिति का पता चलता है।
Algorithm: कम्प्यूटर को दिया जाने वाला अनुदेशों का वह क्रम जिसके द्वारा किसी कार्य को पूरा किया जाता है।
Alignment: डाटा में पैराग्राफ को व्यवस्थित करने की प्रक्रिया।
Alphanumeric: (A-Z) तक के अक्षरों और (0-9) अंकों के समूह को alphanumeric कहते हैं।
Analog: भौतिक राशि की वह मात्रा जो लगातार तरंगीय रूप में परिवर्तित होती है।
Analog Computer: जिस कम्प्यूटर में डाटा भौतिकीय रूप से प्रयुक्त किया जाता है।
Antivirus: कम्प्यूटर का दोषपूर्ण प्रोग्राम अथवा 1द्बह्म्ह्वह्य से होने वाली क्षति को बचाने वाला प्रोग्राम।
Application Software: किसी विशेष कार्य के लिए बनाए गए एक या एक से अधिक प्रोग्रामों का समूह।
Artificial Intelligence: मानव की तरह सोचने, समझने और तर्क करने की क्षमता के विकास को कम्प्यूटर में Artificial Intelligence कहते हैं।
ASCII (American Standard Code For Information Interchange): वह कोड जिसके द्वारा अक्षरों तथा संख्याओं को 8 बिट के रूप में प्रदर्शित किया जाता है।
Assembler: वह प्रोग्राम जो असेम्बली भाषा को मशीनी भाषा में परिवर्तित करता है।
Assembly Language: एक प्रकार की कम्प्यूटर भाषा जिसमें अक्षरों और अंकों को छोटे-छोटे कोड में लिखा जाता है।
Asynchronous: डाटा भेजने की एक पद्घति, जिसमें डाटा को नियमित अन्तराल में अपनी सुविधानुसार भेजा जा सकता है।
Authentication: वह पद्घति, जिसके द्वारा कम्प्यूटर के वैद्यता की पहचान की जाती है।
Auto Cad: एक सॉफ्टवेयर जो रेखा चित्र और ग्राफ स्वत: तैयार करता है।
Audio-Visual: ऐसी सूचना और निर्देश, जिन्हें हम देख सुन सकते हैं पर प्रिंट नहीं निकाल सकते।
Automation: किसी डाटा या सूचना का स्वत: ही प्रोसेस होना।
( B )
BASIC: यह एक उच्चस्तरीय, अत्यन्त उपयोगी व सरल भाषा है, जिसका प्रयोग सभी कम्प्यूटरों में होता है।
Binary: गणना करने के लिए प्रयोग की जाने वाली संख्या प्रणाली।
Bit: बाइनरी अंक (0-1) को संयुक्त रूप से बिट कहा जाता है, यह कम्प्यूटर की सबसे छोटी इकाई है।
Bite: 8 बिटों को सम्मिलित रूप से बाइट कहा जाता है। एक किलोबाइट में 1024 बाइट होती हैं।
Biochop: जैव प्रौद्योगिकी पर आधारित व सिलिकॉन से बनी इस चिप से ही कम्प्यूटर का विकास हो पाया है।
Backbone: कम्प्यूटर नेटवर्क में अन्य कम्प्यूटरों को आपस में जोडऩे वाली मुख्य लाइन।
Background Processing: निम्न प्राथमिकता वाले प्रोग्राम को उच्च प्राथमिकता वाले प्रोग्राम में बदलने की क्रिया।
Back Up: सामान्यत: Back Up कोई भी प्रोग्राम हो सकता है, जिसके द्वारा कम्प्यूटर को खराब होने से बचाया जा सकता है।
Bad Sector: स्टोरेज डिवाइस में वह स्थान जहां पर डाटा लिखा या पढ़ा नहीं जा सकता।
Band Width: डाटा संचरण में प्रयोग की जाने वाली आवृत्ति की उच्चतम और निम्नतम सीमा का अन्तर Band Width कहलाता है।
Base: संख्या पद्वति में अंकों को व्यक्त करने वाले चिन्हों को कहा जाता है।
Batch File: Dos ऑपरेटिंग सिस्टम में प्रोग्राम की वह फाइल जो स्वंय संपादित होती है।
Band: वह इकाई जो डाटा संचारण की गति को मापता है।
1 Band= 1 Bite/sec
Blinking: किसी बिंदु पर कर्सर की स्थिति को Blinking कहते हैं।
Biometric Device: वह डिवाइस जो दो व्यक्तियों के भौतिक गुणों में अंतर कर सकने में सक्षम हो।
Bernoulli Disk: वह चुम्बकीय डिस्क जो रीड व राइट दोनों में ही सक्षम है, डाटा भण्डारण के लिए प्रयोग की जाती है।
Broad Band: कम्प्यूटर नेटवर्क जिसके संचरण की गति 1 मिलियन बिट्स प्रति सेकेण्ड या इससे अधिक होती है।
Browse: जब इंटरनेट पर किसी वेबसाइट को खोजा जाता है तो उस प्रक्रिया को क्चह्म्श2ह्यद्ग कहते हैं।
Browser: वह साफ्टवेयर जिसके माध्यम से हम इंटरनेट पर अपनी पसंद की वेबसाइट को खोज कर सूचना प्राप्त करते हैं।
Bridge Ware: यह सॉफ्टवेयर हैं जिसके द्वारा कम्प्यूटरों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया जाता है।
Bubble Memory: जिसमें डाटा को स्टोर करने के लिए चुम्बकीय माध्यमों का प्रयोग किया जाता है।
Buffer: एक प्रकार की डाटा स्टोरेज डिवाइस है, जो कम्प्यूटर के विभिन्न प्रकार के उपकरणों के बीच डाटा- स्थानन्तरण की गति को एक समान बनाता है।
Burning: वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा क्रह्ररू में डाटा लिखा जाता है।
Bus: एक प्रकार का मार्ग है जो डाटा या इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले कर जाता है।
Blue Tooth: एक लघु रेडियो ट्रांसमीटर होता है जिसके द्वारा सूचनाओं का आदान- प्रदान किया जाता है।
Boot: ऑपरेटिंग सिस्टम द्वारा किया जाने वाला सबसे प्रारम्भिक कार्य क्चशशह्ल कहलाता है।
Bug: यह एक प्रकार का श्वह्म्ह्म्शह्म् होता है, जो कम्प्यूटर में उपस्थित प्रोग्रामों में पाया जाता है। क्चह्वद्द को हटाने की प्रक्रिया को ष्ठद्गड्ढह्वद्द कहा जाता है।
(C)
Chip : Chip सामान्यत: सिलिकॉन अथवा अन्य अद्र्घचालकों से बना छोटा टुकड़ा होता है, जिस पर विभिन्न प्रकार के कार्यों को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते हैं।
Computer Program :किसी कार्य को विधिवत तरीके से पूर्ण करने के लिए कई प्रकार के प्रोग्राम बनाये जाते हैं, जिन्हें Computer Program कहा जाता हैं। सामान्यत:
Computer Program विभिन्न प्रकार की सूचनाओं का समूह होता है।
Cyber Space : Cyber Space द्वारा कम्प्यूटर नेटवर्क में उपस्थित सूचनाओं का आदान-प्रदान पूरे विश्व में किया जाता है।
CD-R/W :इसे विस्तृत रूप से Compact Disk -Read/Write कहा जाता है। यह एक Storage Device है। जिसमें डाटा को बार-बार लिखा तथा पढ़ा जा सकता है।
CD-R : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk -Recordable कहा जाता है। इस Storage Device में डाटा केवल पढ़ा जा सकता हैं। लेकिन Store डाटा में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।
CD ROM Juke Box : इसे विस्तृत रूप से Compact Disk Read Only Memory Juke Box कहते है। इस Storage Device में अनेक प्रकार की सीडियां, ड्राइव्स, डिस्कस आदि सम्मिलित होती है।
Cell : Row और Column से निर्मित भाग को Cell कहा जाता है।
CPU : इसका विस्तृत रूप Central Processing Unit Processing हैं। यह कम्प्यूटर में होने वाली सभी क्रियाओं की प्रोसेसिंग करता है। यह कम्प्यूटर का दिमाग कहलाता है।
Character Printer : इसकी विशेषता यह है कि यह एक बार में केवल एक ही कैरेक्टर (जैसे-अंक, अक्षर अथवा कोई भी चिन्ह) प्रिन्ट करता हैं।
Chat : इंटरनेट के द्वारा दूर स्थिर अपने मित्र या सगे-सम्बंधियों से वार्तालाप करना, Chat कहलाता हैं।
Channel Map : वह प्रोग्राम, जो अक्षरों, अंकों के समूह को दर्शाता है, Channel Map कहलाता है।
Check Box : वह प्रोग्राम, जिसके द्वारा किसी कार्य को सक्रिय या निष्क्रिय किया जाता हैं। ये प्रोग्राम विण्डोज के GUI (ग्राफिकल यूजर इंटरफेस) में प्रयुक्त किये जाते हैं।
Cladding : Cladding एक अवरोधक सतह होती है। जोकि प्रकाशीय तन्तु के ऊपर लगायी जाती है।
Click : माउस के बटन को दबाना क्लिक" करना कहलाता हैं।
Client Computer : वह कम्प्यूटर, जो नेटवर्क में सर्वर को सेवा प्रदान करता हैं, Client Computer कहलाता है।
Clip Art : कम्प्यूटर में उपस्थित रेखा चित्र का समूह Clip Art : कहलाता है।
Component : यूटलिटी सॉफ्टवेयर के अन्र्तगत प्रयुक्त होने वाले पुर्जे Component कहलाते हैं।
Compile : उच्च स्तरीय तथा निम्न स्तरीय भाषाओं को मशीनी भाषा में बदलना Compile करना कहलाता है।
Compiler : Compiler उच्च स्तरीय भाषा को मशीनी भाषा में बदलने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
Compatible : विभिन्न प्रकार के कम्प्यूटरों को एक-साथ जोड़कर उनमें सामंजस्य बैठाना।
Communication Protocol : कार्य को सरल तथा सुविधाजनक बनाने के लिए कई प्रकार के नियम बनाये जाते हैं, जिन्हें कम्प्यूटर भाषा में Communication Protocol कहते हैं।
Common Carriers : एक संस्था, जो डाटा संचरण की सुविधा प्रदान करती है।
Command : कम्प्यूटर में किसी कार्य को पूरा करने के लिए जब कोई निर्देश दिया जाता है, तो उसे Command देना कहते हैं।
Cold Fault : कम्प्यूटर पर काम करते-करते अचानक दोष उत्पन्न हो जाना, परन्तु कम्प्यूटर को दोबारा ऑन करने पर दोष का दूर हो जाना Cold Fault कहलाता हैं।
Cold Boot : दिए गए नियमों द्वारा कार्य सम्पन्न करने की विधि Cold Boot कहलाती है
Coding : प्रोग्रामिंग भाषा में अनुदेशों को लिखने की क्रिया Coding कहलाती है।
Co-axial Cable : एक विशेष तार, जिसे डाटा संचरण के लिए प्रयुक्त किया जाता है। Co-axial Cable में एक केन्द्रीय तार तथा उसके चारों ओर तारों की जाली होती है।
Clock : मदरबोर्ड पर स्थित डिजिटल संकेतों को उत्पन्न करने वाली घड़ी।
Clip Board : Clip Board कम्प्यूटर की मेमोरी में आरक्षित वह स्थान होता हैं, जहां किसी भी कार्य को सम्पन्न करने के लिए निर्देश दिए होते हैं।
Composite Video : इसके द्वारा रंगीन आउटपुट प्राप्त होता है।
Computer : गणना करने वाला एक यन्त्र, जो ह्यद्गह्म् द्वारा प्राप्त निर्देशों की प्रोसेसिंग करके उसका उपयुक्त परिणाम आउटपुट डिवाइस के द्वारा प्रदर्शित करता है।
Computer Aided Desin (CAD) : वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग डिजाइन बनाने अथवा डिजाइनिंग करने के लिए किया जाता है।
Computer Aided Manufacturing (CAM) :वह सॉफ्टवेयर, जिसका प्रयोग प्रबन्धक, नियन्त्रक आदि के कार्यों के लिए किया जाता है।
Computer Jargon : Computer Jargon के द्वारा हम किसी भी क्षेत्र तथा भाषा में प्रयुक्त शब्दों की शब्दावली प्राप्त कर सकते हैं।
Computer Literacy : कम्प्यूटर में होने वाले कार्य तथा उन्हें करने का ज्ञान होना Computer Literacy कहलाता है।
Computer Network : दो या दो से अधिक कम्प्यूटरों को एक साथ जोड़कर बनाये जाने वाले यन्त्र को Computer Network कहते हैं।
Computer System : उपकरणों का समूह (जैसे - मॉनीटर, माउस, की-बोर्ड आदि) Computer System कहलाता है।
Console : Console एक प्रकार का टर्मिनल हैं, जो मुख्य कम्प्यूटर से जुड़ा होता है तथा कम्प्यूटर में होने वाले कार्यों पर नियन्त्रण रखता है।
Control Panel : Control Panel एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, जिसके ऊपर बहुत-से बटन लगे होते हैं। इसके द्वारा कार्य का दिशा- निर्देशन होता है।
Cylinder : Cylinder दो या दो से अधिक ट्रैकों का समूह होता है।
Cut : मॉनीटर पर उपस्थित डाटा को डिलीट करने के लिए प्रयुक्त कमाण्ड।
Cursor Control Key : यह की-बोर्ड में Cursor को नियंत्रित करने के लिए प्रयुक्त Key है। माउस खराब हो जाने पर इस Key का प्रयोग मुख्य रूप से किया जाता है।
Cryptography : किसी डाटा तथा निर्देशों को Password के द्वारा संरक्षित कर देने तथा आवश्यकता पडऩे पर पुन: Save किये गये डाटा तथा निर्देश को प्राप्त करने की प्रक्रिया को Cryptographyकहा जाता है।
Corel Draw : डिजाइन तैयार करने के लिए प्रयोग किये जाने वाले सॉफ्टवेयर को Corel Draw कहा जाता हैं। इसका प्रयोग मुख्यत: DTP (डेस्कटॉप पब्लिशिंग) के लिये किया जाता है।
CD-ROM : यह भण्डारण युक्ति है, जो कि प्लास्टिक की बनी होती है तथा इसमें डाटा लेजर बीम की सहायता से स्टोर किया जाता है। इसकी भण्डारण क्षमता 700 MB (80 मिनट) होती है।
Cursor : टेक्स्ट लिखते समय कम्प्यूटर स्क्रीन पर “Blink” करने वाली खड़ी रेखा को Cursor कहते है।
(D) file name:P1436
1. कम्प्यूटर में प्रयुक्त होने वाला आईसी चिप सिलिकॉन का बना होता है/ **
2. भारत का सिलिकॉन वैली बंगलौर स्थिति है/ **
3. कम्प्यूटर विज्ञान मे पीएचडी करने वाले प्रथम भारतीय डॉ राज रेड्डी है/
4. विश्व का सबसे बड़ा कम्प्यूटर नेटवर्क इंटरनेट है/
5. कम्प्यूटर मे प्रोग्राम की सूची को मेन्यू (Menu) कहा जाता है ?
6. रेलवे मे प्रथम कम्प्यूटर रिजर्वेशन पद्धति नई दिल्ली में लागू की गई थी/
7. गणना संयन्त्र एबाकस (Abacus) का आविष्कार किस चीन में हुआ था/
8. विश्व की प्रथम महिला कम्प्यूटर प्रोग्रामर होने का श्रय एडा ऑगस्टा, (अमेरिका) किसे जाता है/
9. विश्व में सर्वाधिक कम्प्यूटरों वाला देश अ‍मेरिका /
10. द हिन्दु और इंडिया टुडे प्रथम भारतीय पत्र/पत्रिकाएं है जो इंटरनेट पर उपलब्ध हुई/
11. मासायोशी सन को इंटरनेट का सम्राट कहा जाता है ?
12. “मंत्र ऑन लाईन “ देश की पहली अन्तर्राष्ट्रीय इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराने वाली कम्पनी है/
13. इंटरनेट पर जनगणना करने वाला विश्व का पहला देश सिंगापुर है/ **
14. विश्व में सबसे कम उम्र के वेब डिजाइनर होने का गौरव अजय पुरी ने प्राप्त किया ?
15. क्रे-1 (Cray-1) विश्व का प्रथम सुपर कम्प्यूटर है।
16. परम सुपर कम्प्यूटर का विकास पुणे स्थित सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (सी-डेक) के द्वारा किया गया है/ ***
17. कम्प्यूटर में किसी शब्द की लम्बाई बिट्स मे नापी जाती है/
18. इंटरनेट के आविष्कारक डॉ विंट सर्फ माने जाते है/
19. भारत में इंटरनेट उपभोक्ताओं की सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र राज्य में है/**
20. डॉ. डगलस इंजेलबार्ट (Dr.Douglas Engelbart) ने 1964 माउस का आविष्कार किया। जो कि लकड़ी का बना था।
21. प्रथम वेब साइट के निर्माण का श्रेय टिम बर्नस ली (Tim Berners Lee) को है। इन्हें World Wide Web का संस्थापक कहा जाता है।
22. बिल गेट्‌स (Bill Gates) तथा पाल एलेन (Paul Allen) ने मिलकर 1975 में माइक्रोसाफ्ट कॉरपोरेशन की स्थापना की।
23. बिलगेट्‌स की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Road Ahead' 1995 में लिखी गई। वर्तमान में वे "Bill and Melinda Gates Foundation" द्वारा सामाजिक कार्यों में लगे है।
24. भारत के सबीर भाटिया (Sabeer Bhatia) ने फ्री ईमेल सेवा हॉटमेल (Hotmail) को जन्म दिया।
25. ब्लू टूथ एक बेतार तकनीक (Wireless Technology) है जिसके द्वारा मोबाइल फोन के जरिये कम दूरी में कम्प्यूटर और विभिन्न उपकरणों को जोड़ा जाता है।
26. बैंकों में एटीएम (Automatic Teller Machine) वैन (WAN) का एक उदाहरण है।
27. Wi-Fi का अर्थ है Wireless Fidelity इसका प्रयोग बेतार तकनीक द्वारा कम्प्यूटर के दो उपकरणों के बीच संबंध स्थापित करने के लिए किया जाता है।
28. WAP (Wireless Access Point) एक युक्ति है जो विभिन्न संचारमाध्यमों को जोड़कर एक बेतार नेटवर्क बनाता है।
29. कम्प्यूटर के Standby Mode में मॉनीटर तथा हार्ड डिस्क ऑफ हो जाता है ताकि कम उर्जा खपत हो। किसी भी बटन को दबाने या माउस क्लिक करने से कम्प्यूटर Standby Mode से बाहर आ जाता है।
30. IBM का पूरा नाम International Business Machine है /
31. Hyper Text एक डाक्यूमेंट है जो उस वेब पेज को दूसरे डाक्यूमेंट केसाथ जोड़ता है। **
32. Blog शब्द Weblog से बना है। Blog किसी व्यक्ति द्वारा निर्मित वेब साइट है जहां वह अपने विचार, अनुभव या जानकारी रख सकता है। इस वेब साइट को पढ़ने वाले अन्य व्यक्ति भी इस विषय पर अपनी टिप्पणी दे सकते हैं।
33. Beta Release किसी साफ्टवेयर या तकनीक की उपयोगिता को परखने के लिए निर्माण के दौरान उसे बाजार में जारी करने को कहा जाता है।
34. पॉप अप (Pop-up) वेब ब्राउजिंगके दौरान स्वयं खुलने वाला विज्ञापनका विण्डो है।
35. की-बोर्ड की संरचना के निर्माण का श्रेय क्रिस्टोफर लॉथम सोल्स (Christopher Latham Sholes) को जाता है।
36. डिजिटल काम्पैक्ट डिस्क (DCD) का आविष्कार 1965 में जेम्स रसेल (James Russell) ने किया।
37. बॉब नोयी (Bob Noyee) तथा गार्डन मूरे (Gordon Moore) ने सम्मिलित रूप से इंटेल (Intel) नामक कम्पनी की स्थापना की।
37. मोटरोला (Motorola) के डॉ. मार्टिन कूपन (Dr. Martin Cooper) ने मोबाइल फोन का आविष्कार किया।
38. जीएसएम (GSM-Global System For Mobile Communication) मोबाइल फोन के लिए प्रयुक्त एक लोकप्रिय मानक है।
39. सीडीएमए (CDMA-Code Division Multiple Access) मोबाइल नेटवर्क स्थापित करने की व्यवस्था है।
40. कलकुलेटर तथा कम्प्यूटर में अंतर यह है कि कम्प्यूटर को एक साथ कई निर्देश या निर्देशों का समूह दिया जा सकता है तथा यह एक साथ कई कार्य कर सकता है। इसके विपरीत कलकुलेटर को एक साथ एक ही निर्देश दिया जा सकता है।
41. प्रथम व्यावसायिक इंटीग्रेटेड चिप (IC) का निर्माण फेयर चाइल्ड सेमीकण्डक्टर कॉरपोरेशन (Fair Child Semiconductor Corporation) ने 1961 में किया।
42. मॉनीटर का आकार मॉनीटर के विकर्ण (Diagonal) की लम्बाई में मापा जाता है।
43. फ्लापी डिस्क का आविष्कार IBM के वैज्ञानिक एलान शुगार्ट (Alan Shugart) ने 1971 में किया।
44. मानव मस्तिष्क और कम्प्यूटर में सबसे बड़ा अंतर यह है कि कम्प्यूटर की स्वयं की सोचने की क्षमता नहीं होती।
45.HTTP का पूरा नाम Hyper Text Transfer Protocol है /
46.कम्प्यूटर प्लेटफार्म का तात्पर्य कम्प्यूटर में प्रयुक्त आपरेटिंग सिस्टम से है जो अन्य प्रोग्रामों के क्रियान्वयन के लिए आधार तैयार करता है। एक प्लेटफार्म में चलने 00वाले प्रोग्राम सामान्यत: दूसरे प्लेटफार्म में नहीं चलते हैं।
47. अमेरिका के विंटेन कर्फ (Vinten Cerf) को इंटरनेट का जन्मदाता (Father of the Internet) कहा जाता है।
48. नेटीकेट (Netiquette-Net + etiquette) इंटरनेट प्रयोग के समय किये जाने वाले अपेक्षितव्यवहारों और नियमों का समूह है।
49. इंटरनेट का संचालन किसी संस्था या सरकार या प्रशासन के नियंत्रण से मुक्त है।
50. जीपीआरएस (GPRS-General Pocket Radio Service) वायरलेस द्वारा मोबाइलफोन से इंटरनेट सुविधा के प्रयोग की तकनीक है।
51. हाइपर टेक्स्ट (Hyper Text) एक व्यवस्था है जिसके तहत टेक्स्ट, रेखाचित्र व प्रोग्राम आदि को आपस में लिंक किया जा सकता है। इसका विकास टेड नेल्सन (Ted Nelson) ने 1960 में किया।
52. WAP-Wireless Application Protocol मोबाइल फोन द्वारा इंटरनेट के इस्तेमाल के दौरान प्रयोग किये जाने वाले नियमों का समूह है।
53. इंटरनेट फोन कम्प्यूटर और इंटरनेट का प्रयोग कर टेलीफोन कॉल स्थापित करने की प्रक्रिया है।
54. इंटरनेट तथा कम्प्यूटर का प्रयोग कर किये गये अवैध कार्य, जैसे-सुरक्षितफाइलों को देखना और नष्ट करना, वेब पेज में परिवर्तन करना, क्रेडिट कार्ड का गलत इस्तेमाल करना, वायरस जारी करना आदि साइबर (Cyber Crime) कहलाता है।
55. इकॉन (ICANN-Internet Corporation for Assigned Names and Numbers) इंटरनेट पर प्रत्येक कम्प्यूटर के लिए एक विशेष पता देने के उद्देश्य से 1998 में गठित एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है।
56. इमोटीकॉन (Emoticon-emotion + icon) एक या अधिक संकेतों का समुच्चय है जिसके द्वारा इंटरनेट पर किसी विशेष भावना को व्यक्त किया जाता है।
57. एक्स्टानेट (Extranet) एक व्यक्तिगत नेटवर्क है जो व्यवसाय के लिए इंटरनेट तकनीक और सार्वजनिक संचार व्यवस्था का प्रयोग करता है।**
57. हैकर (Hacker) एकव्यक्ति है जो इंटरनेट पर इलेक्टानिक सुरक्षा व्यवस्था को भेदकर मनोरंजनया उत्सुकतावशगुप्त सूचनाएंप्राप्त करता है।
58. ब्रिटेन के एलान टूरिंग (Alan Turing) सर्वप्रथम कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence) की विचारधारा रखी। पर इस क्षेत्र में अपने योगदान के कारण जान मैकार्थी (John Mc Carthy) को कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Father of Artificial Intelligence) का जनक कहा जाता है।
59. डेस्कटॉप पब्लिशिंग (DTP)का विकास मैकिन्टोस (Macintosh) कम्पनी द्वाराकिया गया।
60. इंटरनेट पर मुफ्त में उपलब्ध विश्व के सबसे बड़े इनसाक्लोपीडिया विकिपीडिया (Wikipedia) की स्थापना जिमी वेल्स (Jimmy Wales) ने किया।
60. बंग्लोर स्थित इंफोसिस टेक्नोलॉजी (Infosys Technology) का प्रारंभ एन. नारायणमूर्ति द्वारा 1981 में किया गया।
61. वर्तमान में विश्व का सबसे तेज सुपर तिआन्हे-2 कम्प्यूटर है/ इसे चीन ने 2013 ने बनाया/ (UPDATED)
62. भारत का सबसे तेज सुपर कम्प्यूटर प्रथ्वी है, जिसे भारतीय उष्ण देशीय मौसम विज्ञान अनुसंधान पुणे(INDIAN INSTITUTE OF TROPICAL METEOROLOGY PUNE) द्वारा किया गया है। (UPDATED)
63. विलियन हिगिनबॉथम (William Higgin Botham) ने 1958 में कम्प्यूटर के प्रथम वीडियो गेम का निर्माण किया।
64. माया II (Maya II) एक DNA कम्प्यूटर है जिसमें सिलिकॉन चिप की जगह DNA धागे का प्रयोग किया गया है।
65. माया (Maya) एक शक्तिशाली त्रिआयामी (3D) साफ्टवेयर है जिसका प्रयोग चलचित्रों और विडियो गेम में विशेष प्रभाव डालने के लिए किया जाता है।
66. एलन टूरिंग (Alan Turing) को आधुनिक कम्प्यूटर विज्ञान का जनक माना जाता है।
67 चार्ल्स बाबेज को कम्प्यूटर का जन्म दाता है/
68. 5, 00, 00,000 लोगों तक पहुँचने में रेडियों को 38 वर्ष लगे और टेलिव्हिजन को 13 वर्ष, जबकि वर्ल्ड वाइड वेब को इसके लिए मात्र 4 वर्ष ही लगे।
69. Symbolics.com सबसे पहले रजिस्टर किया गया डोमेननेम था़।
70. प्रतिमाह दस लाख से भी अधिक डोमेननेम रजिस्टर होते हैं।
71. समस्त संसार में लगभग 1.06 बिलियन इंस्टैंट मैसेजिंग खाते हैं।
72. कम्प्यूटर प्रयोगकर्ता औसत रूप से प्रति मिनट 7 बार पलकें झपकाते हैं जबकि पलकें झपकाने की सामान्य दर 20 बार प्रति मिनट है।
73. ENIAC भारत का पहला सुपर कम्प्यूटर है/
74. COBOL, C/C++, FORTRAN (Formula Translation), PASCAL, prolog, logo, UNIX आदि कम्प्यूटर भाषा है/
75. Dot Matrix, DRUM, LINE printer आदि प्रिंटर है/
76. कम्प्यूटर केवल बइनरी भाषा 0&1 ही समझता है/
77. जोय स्टिक का प्रयोग कम्प्यूटर पर खेल (गेम) खेलने के लिए करते है /
78. कम्प्यूटर मे फ़ंशनल-की F1, F2, F4, F5, F6 … F12. होती है /
79. कम्प्यूटर मे डॉकयूमेंट का डिफाल्ट फाइल नाम .DOC होता है/
80. कम्पाइलर उच्च स्तरीय भाषा (High Level Language) को मशीनी भाषा मे परिवर्तित करता है/
81. FORTRAN (Formula Translation) पहली उच्च स्तरीय भाषा है, जिसका विकास IBM ने 1957 मे किया था/
82. कोबोल भाषा का प्रयोग व्यवसायिक क्षेत्र मे किया जाता है/
83. भारत मे नई कम्प्यूटर नीति नवम्बर 1984 को लागू हुई/
84. भारत मे निर्मित प्रथम कम्प्यूटर सिद्धार्थ है/
85. 16 अगस्त 1946 को बंगलूर के प्रधान डाक घर पहला कम्प्यूटर लगाया गया /
86. भारत का प्रथम कम्प्यूटरीक्रत डाक घर दिल्ली का है/
87. भारतीय जनता पार्टी भारत की ऐसी पहली राजनीतिक पार्टी है, जिसने इंटरनेट पर अपना वेब साइट बनाया था /
88. चुम्बकीय डिस्क (Magnet Tape) पर आइरन आक्साइट की परत होती है/
कम्‍प्‍यूटर की-बोर्ड टाईपिंग
हिंदीटाइपिंगकेलिएकंप्यूटरकोसेटकैसेकरें--विंडोसएक्सपी
हिन्दी मे टंकण बेहद आसान है। कृपया इस आलेख से लाभ उठाएं।
1. Start में जाएं।
2. Control Panel चुनें।
3. Regional and Language Options चुनें
4. Language टैब चुनें।
5. Install files for complex script and right to left languages (including Thai) चुनें। इस चरण में कंप्यूटर आपसे विंडोस एक्सपी की मूल सीडी मांग सकता है, इसलिए उसे पास में रखें।
6. जब इन्स्टोलेशन सीडी से आवश्यक फाइलें आपके कंप्यूटर में स्थापित हो गई हों, Regional and Language Options के उसी Language वाले टैब में Details पर क्लिक करें।
7. Settings में Add वाले बटन पर क्लिक करें।
8. Input Languages वाले ड्रोप डाउन मेनूपर क्लिक करें और उसमें से Hindi चुनें।
9. OK पर क्लिक करें।
10. Settings पृष्ठ में Apply पर क्लिक करें।
अब आपने अपने कंप्यूटर को हिंदी में टाइप करने के लिए सेट कर लिया है। यदि आप अपने कंप्यूटर के टास्क बार को देखें, तो आपको वहां एक नया बटन दिखाई देगा, यानी Language Bar. यदि आप उस पर क्लिक करें, आपको वे सभी भाषाएं दिखेंगी जिन्हें आपका कंप्यूटर समर्थित करता है। इसमें अब आपको हिंदी भी दिखनी चाहिए।
अंग्रेजी की टाइपिंग से हिंदी की टाइपिंग में अदला-बदली को आप Alt + Shift का उपयोग करें।
उदाहरण के लिए यदि आप यह पंक्ति टाइप कर रहे हों (यानी हिंदी में टाइप कर रहे हों) और आप Alt+Shift दबाएं, तो आप कीबोर्ड को अंग्रेजी कीबोर्ड में बदल देंगे, और जो भी आप अब टाइप करें वह अंग्रेजी में होगा, इस तरह, kkjddkjk kjd jkjd kj। एक बार फिर Alt+Shift को दबाने पर कंप्यूटर फिर हिंदी में बदल जाएगा और आप जो भी टाइप करेंगे, वह हिंदी में आने लगेगा। इस तरह आपर Alt+Shift को दबाकर हिंदी और अंग्रेजी में टोगल कर सकते हैं।
हिंदी कुंजीपटल का विन्यास (इन्स्क्रिप्ट कुंजी व्यवस्था के अनुसार)
सामान्य स्थिति (बिना शिफ्ट कुंजी दबाए)
कुंजीपटल की पहली पंक्ति (अंकोंवाली कुंजी पंक्ति) बाएं से दाएं
हिंदी
1
2
3
4
5
6
7
8
9
0
-
अंग्रेजी
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1
2
3
4
5
6
7
8
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हिंदी कुंजीपटल की कुछ विशेषताएं
1. सभी मात्राएं (ौाीूोेु) normal position में कुंजीपटल के बाएं भाग में हैं।
2. सभी स्वर (अ आ इ ई...) कुंजीपटल के बाएं भाग में shift position में उसी कुंजी में है जिस पर उस स्वर की मात्रा है। उदाहरण के लिए इ की मात्रा f कुंजी में है और इ स्वर उसी कुंजी में, यानी f में Shift postion पर है, यानी F कुंजी में।
3. सभी अघोष व्यंजन (क प ग द ज) normal position में कुंजी पटल के दाएं भाग में हैं।
4. सभी सघोष व्यंजन (ख फ घ ध झ) कुंजी पटल क दाएं भाग में shift position में उसी कुंजी में है जिसमें उसका सजातीय अघोष व्यंजन है। उदाहरण, अघोष व्यंजन क normal position में k कुंजी में ही, और उसी कुंजी में shift position में उसका सजातीय सघोष व्यंजन ख है, यानी K वाली कुंजी में।
कुंजीपटल की इस वैज्ञानिक विन्यास के कारण हिंदी में टाइप करना बहुत ही सरल और तेज है। आपको सिर्फ आधी कुंजियों की स्थिति ही याद रखनी पड़ती है, बाकी कुंजियां उसी जगह shift में आती है। उदाहरण के लिए यदि आप याद कर लें कि क k पर है, तो आप यह भी याद कर लेते हैं कि ख K में होगी। इसलिए इस कुजीपटल पर हिंदी टाइपिंग बहुत ही तेजी से की जा सकती है, अंग्रेजी से भी ज्यादा तेजी से। इसे सीखने में चंद घंटे ही लगते हैं।
द्ध, त्र, ह्न आदि संयुक्ताक्षरों को टाइप करने की विधि
1. पहलेवाले अक्षर को टाइप करें।
2. उसके बाद हलंत चिह्न (normal position में ‘d’) टाइप करें। यह हलंत चिह्न इस तरह दिखता है – ् ।
3. अब दूसरा अक्षर टाइप करें। दोनों अक्षर अपने आप ही संयुक्त हो जाएंगे और उनका संयुक्त रूप स्क्रीन पर दिखेगा।
उदाहरण:
द्ध टाइप करने के लिए यह करें
द + ् + ध = द्ध
विंडोज 8 इनस्टॉल गाइड स्टेप बाई स्टेप

हम अापको windows xp और windows 7operating systems 7 को step by step install करना बता चुके हैं, लेकिन इनके अलावा microsoft की Windows 8 भी market में available हैं, Microsoft ने Windows 8 को बाजार में उतार कर Touch Screen Windows की नई शुरुआत की थी, अब Microsoft market में Windows 8 का नये वर्जन Windows 8.1 को Launch कर दिया है -
आपको windows 8 install करने के लिये Windows 8 की bootable disk की Requirement पडेगी, अगर वह आपके पास है तो ही अाप windows 8 अपने Computer में install कर पायेगें। microsoft windows 8 को आप $119.99 यानी लगभग 7200 रूपये में आप microsoft की site से खरीद सकते हैं
step-1 windows 8 install करने के लिये सबसे पहले Computer को CD/DVD से Boot कराने के लिये Set कीजिये। इसके लिये Computer को Restart/on कीजिये तथा keyboard से F2 दबाईये और set the order में 1st Boot Device के तौर पर अपने CD/DVD Device को Set कीजिये। अब F10 दबाकर Computer को Restart कीजिये।
step-2 Restart के समय windows 8 की bootable disk को अपने DVD Rom में डालिये।
step-3 press any key boot from cd or DVD... लिखा आने पर keyboard से कोई भी Button दबा दीजिये।
step-4 windows is loding files लिखा आयेगा, यहॉ DVD से जरूरी setup file copy होती हैं। इसमें कुछ मिनट लगते हैं।
step-5 कुछ देर बाद Select your language, time & currency format, keyboard or input method पूछा जाता है, यह Select कर Next पर क्लिक कीजिये।
step-5 अब आपको Windows 8 install now window दिखाई देगी यहाॅ install now पर Click कीजिये।
step-6 इसके बाद windows 8 license terms आयेगें, यहॉ I accept the license terms पर टिक कीजिये और Next कीजिये।
step-7 इस अगली windows में Upgrade और Custom (advanced) का Option आयेगा। अगर आपके computer में windows 7 पहले से install है और आप उसे windows 8 में Upgrade करना चाहते हैं तो Upgrade पर click कीजिये अौर अगर आप बिलकुल new windows 8 install करना चाहते हैं तो Custom (advanced) पर click कीजिये इससे आपकी पुरानी windows 7 की आपके computer में सुरक्षित रहेगी।
step
-8 Custom (advanced) पर click ही आपसे आपकी Hard disk का partition पूछा जायेगा जिसमें अाप windows 8 install करना चाहते हैं। अगर आप partition को format करना चाहते हैं ताे disk Option पर Click कीजिये। अगर नहीं तो partition को सलेक्‍ट कर Next पर click कीजिये।
step-9
अब थोडी देर के लिये Computer को ऐसे ही छोड दीजिये जब तक Restart नहीं हो जाता। यहॉ Windows 8 की installation Start हो जायेगी। यह 5 Step में Complete होगी। इसमें 5-10 मिनट का समय लग सकता है।
step-9 Computer के Restart होने के बाद कुछ और Process होंगी इसमें भी आपको कुछ नहीं करना हैं, यह windows द्वारा स्‍वंय पूरी की जायेगी।
step-10 कुछ देर बाद windows 8 personalization setup आयेगा, यहाॅ आपको अपनी पसंद की Color Theme चुनना है और next करना हैा
step-11 - कुछ देर बाद windows 8 का Superb Smart desktop आ जायेगा। Have fun .
कम्प्यूटर उपयोग के फायदे और नुकसान
लाभ
निम्न सूची आज के क्षेत्र में कंप्यूटर के फायदे को दर्शाता है.
हाई स्पीड
कंप्यूटर एक बहुत तेजी से उपकरण है.
यह बहुत बड़ा डेटा के अलावा प्रदर्शन करने में सक्षम है.
कंप्यूटर माइक्रोसैकेण्ड, nanosecond और भी पीकोसैकन्ड में गति की इकाइयों है.
एक ही काम करने के लिए कई महीनों से खर्च कर सकते हैं जो आदमी की तुलना में यह कुछ ही सेकंड में गणना के लाखों प्रदर्शन कर सकते हैं.
शुद्धता
बहुत तेजी से होने के अलावा, कंप्यूटर बहुत सही कर रहे हैं.
कंप्यूटर गणना 100% त्रुटि मुक्त प्रदर्शन किया गया है.
कंप्यूटर 100% सटीकता के साथ सभी नौकरियों प्रदर्शन.
भंडारण क्षमता
मेमोरी कंप्यूटर के एक बहुत महत्वपूर्ण विशेषता है.
कंप्यूटर मनुष्य की तुलना में बहुत अधिक भंडारण क्षमता है.
यह डेटा की बड़ी मात्रा में स्टोर कर सकते हैं.
यह ऐसे चित्र, वीडियो, पाठ, ऑडियो और किसी भी अन्य प्रकार के रूप में डेटा के किसी भी प्रकार के स्टोर कर सकते हैं.
परिश्रम
मनुष्य के विपरीत, एक कंप्यूटर एकरसता, थकान और एकाग्रता की कमी से मुक्त है.
यह किसी भी त्रुटि और बोरियत पैदा करने के बिना लगातार काम कर सकते हैं.
यह उसी गति और सटीकता के साथ दोहराया काम कर सकता है.
बहुमुखी प्रतिभा
एक कंप्यूटर एक बहुत बहुमुखी मशीन है.
एक कंप्यूटर के लिए किया जाना नौकरियों प्रदर्शन में बहुत लचीला है.
इस मशीन के विभिन्न विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित समस्याओं को हल करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.
एक पल में, यह एक जटिल वैज्ञानिक समस्या है और यह एक कार्ड खेल खेल हो सकता है अगले ही पल को हल किया जा सकता है.
विश्वसनीयता
एक कंप्यूटर एक विश्वसनीय मशीन है.
आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की विफलता मुक्त लंबे जीवन है.
कंप्यूटर रखरखाव आसान बनाने के लिए तैयार कर रहे हैं.
स्वचालन
कम्प्यूटर एक स्वचालित मशीन है.
स्वचालन स्वचालित रूप से कार्य करने के लिए क्षमता का मतलब है.
एक कार्यक्रम कंप्यूटर स्मृति में संग्रहीत कंप्यूटर यानी करने के लिए दिया जाता है एक बार, कार्यक्रम और शिक्षा मानव संपर्क के बिना कार्यक्रम के निष्पादन को नियंत्रित कर सकते हैं.
पेपर वर्क में कमी
एक संगठन में डाटा प्रोसेसिंग के लिए कंप्यूटर के उपयोग कागज काम और इस प्रक्रिया की गति में कमी आती है.
इलेक्ट्रॉनिक फ़ाइलों में डेटा के रूप में प्राप्त किए जा सकते हैं और जरूरत पड़ने पर, फ़ाइलों की बड़ी संख्या के रखरखाव की समस्या कम हो जाता है.
लागत में कमी
एक कंप्यूटर स्थापित करने के लिए प्रारंभिक निवेश अधिक है, लेकिन यह काफी हद तक अपने लेन - देन में से प्रत्येक की लागत कम कर देता है.
नुकसान
निम्न सूची आज के क्षेत्र में कंप्यूटर के नुकसान को दर्शाता है.
कोई बुद्धि नहीं
एक कंप्यूटर एक मशीन है और किसी भी कार्य को करने के लिए अपनी खुद की कोई खुफिया है.
प्रत्येक और हर अनुदेश कंप्यूटर को दिया जाता है.
एक कंप्यूटर अपने दम पर कोई भी निर्णय नहीं ले सकते.
निर्भरता
यह इंसान पर पूरी तरह से निर्भर है user.So के निर्देशानुसार यह समारोह प्रदर्शन कर सकते हैं.
वातावरण
कंप्यूटर के ऑपरेटिंग वातावरण धूल मुक्त और इसे करने के लिए उपयुक्त होना चाहिए.
किसी से नहीं कोई लगाव
कम्प्यूटर नहीं लग रहा है या भावनाओं है.
यह एक इंसान के विपरीत लग रहा है, स्वाद, अनुभव और ज्ञान के आधार पर निर्णय नहीं कर सकता.
निम्न सूची आज के क्षेत्र में कंप्यूटर के विभिन्न अनुप्रयोगों को दर्शाता है.
सुपर कम्प्यूटर
सुपर कंप्यूटर वर्तमान में उपलब्ध सबसे तेजी से कंप्यूटर में से एक हैं. सुपर कंप्यूटर बहुत महंगे हैं और गणितीय गणना की भारी मात्रा में (संख्या ) की आवश्यकता है कि विशेष अनुप्रयोगों के लिए कार्यरत हैं. उदाहरण के लिए, मौसम की भविष्यवाणी, वैज्ञानिक सिमुलेशन, (एनिमेटेड) ग्राफिक्स, द्रव गतिशील गणना, परमाणु ऊर्जा अनुसंधान, इलेक्ट्रॉनिक डिजाइन, और भूवैज्ञानिक डेटा (जैसे पेट्रो पूर्वेक्षण में) का विश्लेषण.
मेनफ़्रेम कम्प्यूटर
मेनफ़्रेम
मेनफ्रेम आकार में एक बहुत बड़ा है और यहां तक कि सैकड़ों या हजारों, एक साथ उपयोगकर्ताओं का समर्थन करने में सक्षम एक महंगी कंप्यूटर है. मेनफ्रेम समवर्ती कई कार्यक्रम कार्यान्वित. सॉफ्टवेयर एक साथ कई कार्यक्रमों के निष्पादन का समर्थन है.
हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के बीच संबंध
पारस्परिक रूप से उनमें से कंप्यूटर एक उपयोगी उत्पादन का उत्पादन करने के लिए एक साथ काम करना चाहिए.
सॉफ्टवेयर हार्डवेयर समर्थन के बिना उपयोग नहीं किया जा सकता.
पर संचालित करने के लिए कार्यक्रमों के सेट के बिना हार्डवेयर का उपयोग किया और बेकार है नहीं किया जा सकता.
कंप्यूटर पर किया एक खास नौकरी के लिए, प्रासंगिक सॉफ्टवेयर हार्डवेयर में लोड किया जाना चाहिए
हार्डवेयर एक एक समय खर्च है.
सॉफ्टवेयर विकास बहुत महंगा है और एक सतत खर्च है.
विभिन्न सॉफ्टवेयर विभिन्न नौकरियों को चलाने के लिए एक हार्डवेयर पर लोड किया जा सकता है.
एक सॉफ्टवेयर उपयोगकर्ता और हार्डवेयर के बीच एक अंतरफलक के रूप में कार्य करता है.
हार्डवेयर एक कंप्यूटर प्रणाली के 'दिल' है, तो सॉफ्टवेयर अपने 'आत्मा' है. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं.

General Knowledge About Computer Course ! General Knowledge About Computer Course ! Reviewed by Akash Sharma on June 01, 2018 Rating: 5
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