ना'पाक चेहरा: 15 लाख और जन्नत के लालच से तैयार हो रहे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी

                              ना'पाक चेहरा: 15 लाख और जन्नत के लालच से तैयार हो रहे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी

यह सर्वमान्य सच है कि आमने-सामने की लड़ाई में पाकिस्तान हमारे देश से जीत नहीं सकता है। यही वजह है कि सीमा पार से लगातार परोक्ष युद्ध चलाया जा रहा है। अब तक यह आतंकी वारदातों के रूप में बम धमाके और गोलीबारी तक सीमित था, लेकिन 14 फरवरी को पाकिस्तान ने इसे और कुरूप बना दिया। इस दिन विस्फोटक से भरी कार को सीआरपीएफ की बस से टकरा दिया गया जिससे 40 जवान शहीद हो गए।

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अब सीमा पार के आतंकी संगठन कश्मीरी के भोले-भाले युवकों से कह रहे हैं कि हमारे लिए काम करो, टारगेट पूरा तो 15 लाख रुपये लो और जान चली गई तो जन्नत मिलने का दिलासा। कश्मीर में सीआरपीएफ बस पर हुए फ़िदायीन हमले के बाद ये खुलासे हो रहे हैं। अभी तक वहां जो आतंकी मारे गए हैं, उनमें से ज्यादातर का संबंध पाकिस्तान से होता है। कई बार यह भी होता है कि कश्मीरी युवकों को सीमा पार ले जाकर उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी। उसके बाद युवकों को दोबारा से भारतीय सीमा में धकेल दिया जाता था।
हालांकि ऐसे मामले अभी तक ज्यादा सामने नहीं आते थे। अब पुलवामा अटैक में पहली बार यह सामने आया है कि कश्मीरी युवक अपने देश के ही सुरक्षा बलों को निशाना बना रहा है। रक्षा विशेषज्ञ ब्रिगेडियर संदीप थापर का कहना है कि पाकिस्तानी आतंकी संगठनों को अपने देश में युवाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें भारतीय सीमा में भेजना अब उतना आसान नहीं रहा है। 
ऐसे में वे संगठन कश्मीरी युवकों को धर्म के नाम पर या कश्मीर की आजादी के नाम से गुमराह करने लगे हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस की ख़ुफ़िया इकाई को ऐसे सबूत मिल रहे हैं। खासतौर पर, दक्षिण कश्मीर जिसे आतंकियों का गढ़ कहा जाता है, वहां से इस तरह के इनपुट मिले हैं। पिछले दिनों जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को इस बाबत सूचना दी गई थी। 

साथ ही गृह मंत्रालय को भी इस नए इनपुट से अवगत कराया गया था। जेएंडके पुलिस के एक अधिकारी ने इस बात को माना है कि कश्मीर में इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं। बेरोजगार युवाओं को बरगलाया जा रहा है। दूसरे रक्षा विशेषज्ञ कर्नल उत्कर्ष राठौर और जीडी बख्शी का भी मानना है कि पाकिस्तानी सीमा में चल रहे आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप अब भारत में अपनी पहुंच बना रहे हैं। वे कश्मीर में पैसा भेजकर अपने नापाक इरादों को अंजाम देने की योजना बनाने में लगे हैं। 

पिछले साल व्हाट्सएप पर चल रहे थे ऐसे संदेश 

दिसंबर 2018 में सुरक्षा बलों को कुछ व्हाट्सएप संदेशों का पता लगा था, जिनमें युवाओं को धर्म के नाम पर गुमराह करने की बात सामने आई थी। जब यह पता लगा कि कश्मीर में ही कुछ ऐसे संदिग्ध तत्व हैं जो युवाओं को बैट की तरह प्रलोभन देकर उन्हें आतंकी बनाने की राह पर ले जा रहे हैं। जांच में सामने आया कि यह मैसेज सीमा पार से आ रहा था। 
दक्षिण कश्मीर से कई युवाओं को गिरफ़्तार कर उनसे पूछताछ की गई। पूछताछ में यह बात निकली कि कोई व्यक्ति उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देगा। इसके बाद उन्हें टारगेट मिलेगा। यदि वे अपने लक्ष्य को भेदने में कामयाब हो जाते हैं तो उन्हें करीब 15 लाख रुपये मिलेंगे। जन्नत मिलने का भी दिलासा देते हैं। यदि वे सुरक्षा बलों पर हैंड ग्रेनेड फेंकने में कामयाब होते हैं और वहां से बच निकलते हैं तो उसके लिए भी एक तय राशि दी जाएगी। 

पाकिस्तान में बैट को मिलता है यह सब

पाक सेना, आईएसआई और लश्कर जैसे आतंकी संगठन पाकिस्तानी जमीन पर ट्रेनिंग कैंप चलाते हैं। भारतीय फौज ने सर्जीकल स्ट्राइक कर वहां के ट्रेनिंग कैंपों को नष्ट किया था। बैट को एलओसी पर तैनात किया जाता है। जब भी इन्हें मौका मिलता है, ये भारतीय जवान पर फायरिंग कर देते हैं। कई बार हमारे जवानों को पकड़ कर मारना और और उनके शव को क्षत-विक्षत करना भी इनकी गतिविधियों में शामिल रहता है।
अगर ये हमारे जवान को घायल करते हैं या उसे मार देते हैं तो उस हिसाब से इन्हें पेमेंट मिलती है। जब कभी ये हमारे जवान की गोली का निशाना बन जाते हैं तो इन्हें पाकिस्तान में शहीद का दर्जा, 12 लाख रुपये और जन्नत का भरोसा दे देते हैं। खास बात है कि बैट के सदस्य अपना टारगेट पूरा करने के लिए कई माह तक एलओसी पर जमे रहते हैं।

जब भी कोई भारतीय जवान अपनी चौकी या दल से इधर-उधर होता है तो वे निशाना लगा देते हैं। कई बार कोई जवान जब पानी लेने या किसी अन्य कारण से गश्ती दल से पीछे रह जाता है तो बैट सदस्य उस पर फायर कर देते हैं। जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा जैसे आतंकी संगठन अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए बैट दस्ते तैयार करते हैं।

एनआईए करेगी कश्मीर आने वाली 'फंड' की जांच

पिछले कई वर्षों से एनआईए टीम को लगातार ऐसे सबूत मिल रहे हैं। वहां पर विदेशों से भी हवाला के जरिए पैसा भेजा जाता रहा है। साल 2012 में एनआईए ने जम्मू-कश्मीर स्थित एक बैंक की कथित जांच पड़ताल की थी। इतना ही नहीं, विदेशों से पैसा भेजे जाने वाली संस्थाओं की भी जांच की गई।
एनआईए के एक अधिकारी का कहना है कि अब कुछ ऐसे मामले देखने को मिल रहे हैं जिनमें विदेशों से पैसा कश्मीर पहुंच रहा है। यह किन लोगों के खातों में आता है, इस बात की पड़ताल हो रही है। जांच में हुर्रियत नेताओं और दूसरे अलगाववादी नेताओं की कथित भूमिका की भी जांच होगी। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भी शुक्रवार को कहा है कि कश्मीर के अलगाववादी नेताओं को मिली सुरक्षा की दोबारा से पड़ताल होगी। 
ना'पाक चेहरा: 15 लाख और जन्नत के लालच से तैयार हो रहे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ना'पाक चेहरा: 15 लाख और जन्नत के लालच से तैयार हो रहे जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी Reviewed by Akash Sharma on February 16, 2019 Rating: 5

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